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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? नमस्कार महामंत्र के प्रभाव से विश्व के प्रांगण में श्री नमस्कार महामंत्र को बेजोड़ मंत्र के रूप में मान्यता मिलती जा रही है, जिसका प्रमुख कारण है नमस्कार का अर्थ विस्तार तथा साधक पर आया भयंकर संकट से निस्तार हो जाना। नमस्कार महामंत्र में अध्यात्म का पावन संदेश है तो भौतिक समृद्धि का संकेत भी है। योग, सिद्धविद्या, विज्ञान, कर्म, धर्म आदि कसौटियों पर भी यह मंत्र कसा गया और इस मंत्र को जाग्रत मंत्र के रूप में माना गया है। विश्वपूज्य, अभिधानराजेन्द्रकोष के निर्माता, युगप्रभावक श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने जीवन में दो बार महा कठीनतम साधना पद्धति में इस मंत्र को साधकर जनजागृति और धर्मक्रान्ति का शंखनाद किया था । " अर्हम्" पद की अखण्ड साधना में स्वयं के जीवन को तो दिप्त बनाया ही, साथ ही जिनशासन के मार्ग पर हजारों आराधकों को सन्मार्ग प्रदान कर जनकल्याण भी किया। उन्हीं की परम्परा में व्याख्यान वाचस्पति जैनाचार्य श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न, प्रवचनकार आगम ज्ञाता मुनिराज श्री देवेन्द्रविजयजी म.सा. हुए हैं। जिनकी पावन निश्रा में रहने का सौभाग्य निरन्तर मुझे बाल्यकाल से ही मिला है। 12 वर्ष तक अपने उपकारी गुरुदेव के साथ रहकर मैंने जो पाया उसे संक्षेप में प्रस्तुत कर रहा हूँ । पूज्य उपकारी गुरुदेव प्रातः काल 3 बजे उठकर नियमित रूप से 3 घंटे का ध्यान करते थे। पंच परमेष्ठि मुद्रा करके ध्यान करते समय जो अदृश्य संकेत प्राप्त होता था, उसे एक छोटी सी डायरी में नोट कर लेते थे। फिर उसी के अनुसार अनेक कठिन प्रश्नों का समाधान सहज रूप से कर देते थे। पूज्य उपकारी गुरुदेव कहा करते थे कि, " श्री नमस्कार महामंत्र आराधना से ही आत्म उद्धार की कुंजी प्राप्त होती है। अनादिकालीन विषय विकार की बीमारी मिटती है। प्रवचन करते 357
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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