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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? 30 नवकार नाम का भोमिया आज से 12 वर्ष पूर्व दीपावली के अवकाश में हम परिवारजन दक्षिण भारत की यात्रा पर गये थे। टेक्सी ड्राइवर और हम पांच। कुल मिलाकर 6 सदस्य "ठेक्कड़ी' से वापिस आने हेतु निकले। हमें निकलते थोड़ी देरी हो गयी और उसमें सर्दी की रात, अंधेरा भी जल्दी हो जाता। मदुराई पहुंचने के लिए थोड़ा घाट आता है। टेक्सी एकान्त में जा रही थी। हम सभी अपनी मस्ती में थे। फिल्मों के गीत गाते, किन्तु प्रभु-भक्ति में रस उससे ज्यादा, उस कारण ज्यादा समय तो भक्ति पदों-भजनों में ही बीतता। हम सभी साथ गाते, उसकी ही मस्ती में थे और ड्राइवर भी हमारी भक्ति में मस्त बनकर चलाता जा रहा था। थोड़ी देर बाद ख्याल आया कि रास्ता!... रास्ते पर लाईट नहीं, सुनसान एकान्त...एकान्त रास्ते पर न तो कोई किलोमीटर का पत्थर आता ना ही कोई बोर्ड। थोड़ी देर बाद पता चला कि हम गलत रास्ते पर हैं। शान्ति से भी डर लगे, यह बात तब बराबर समझ में आई। पूरा क्षेत्र जंगल का था, इस कारण डर भी लगा। हमारी भक्ति बन्द हो गई। पांच मिनट गाड़ी चली होगी लेकिन हमको पांच घंटों जैसी लगी। क्या करना उसके विचार में पड़ गये। ड्राइवर केवल तमिल भाषा जानता था और कामचलाऊ अंग्रेजी। उसे भी पसीना आ गया। किन्त पछना किसे? अतिशय भयंकर रास्ते पर हम चढ गये थे। दिन होता तो थोड़ा डर नहीं रहता। किन्तु यह तो दीपावली की काली रात! ___सहज ही देर से किसी ने नवकार बोला। याद नहीं, किन्तु माता-पिता में से एक होंगे। हम सभी नवकार रटने लगे। सभी के मुंह से केवल नवकार। शायद ड्राइवर भी हमारे नवकार में जुड़ गया होगा। मैं जानता हूँ कि उसका अर्थ उसे पता नहीं होगा, किन्तु उसे भी ऐसी श्रद्धा हुई होगी कि यह लोग जो बोल रहे हैं, वह सही होगा और वही हमें 344
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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