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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - आज से करीब दस वर्ष पहले की बात है। एक रात जल्दी सवेरे मुझे एक स्वप्न आया। उस स्वप्न में मैं हालार के वसई गांव में आचार्य |श्री कुंदकुंदसूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में उनके समक्ष बैठा हूँ। आचार्य श्री ने पूछा कि, 'किस विचार में बैठा है?' मैंने उनसे कहा कि, 'मैं काफी समय से परेशान हूँ। मुझे कहीं स्थिरता नहीं मिलती है। इस कारण उन्होंने मुझे कहा कि, 'आंखे बन्द कर और नमस्कार मंत्र का रटन चालु कर।' पूज्य श्री भी मेरे समक्ष आसन पर विराजमान थे। मेरा नमस्कार मंत्र का रटन चालु ही था। उस दौरान जो अलौकिक दृश्य देखने को मिला, वह देखकर मुझे बेहद आनंद हुआ। वह तेजो दृश्य देखकर आत्मा और शरीर दोनों अलग हो गये। मेरी आत्मा तेजोदृश्य में विचरने लगी। देह नवकार मंत्र के रटन में ही ध्यान मुद्रा में स्थिर थी। कुछ समय के लिए अद्भुत अलौकिक दृश्य देखकर आत्मा. बहुत आनंदित हुई। वह समय वास्तव में कोई पुण्य का समय होगा, और श्री नमस्कार मंत्र की उपासना का परिणाम होगा, ऐसा मुझे निश्चित लगा। फिर धीरे-धीरे वह तेजोदृश्य अदृश्य हो जाता है। आत्मा धीरे धीरे नीचे आकर देह में समा जाती है। थोड़ी देर बाद आचार्य श्री कहते हैं कि, 'अब आंखे खोलो।' मैंने आंखे खोली। उसके बाद उन्होंने कहा कि, 'जाओ, तुम्हारी परेशानी दूर हो जायेगी। आज इस बात को दस वर्ष बीत गये, फिर भी जो अलौकिक दृश्य देखा था, वह भूल नहीं सकता। जैसे अभी ही यह घटना घटित हुई हो। तब से श्री नमस्कार की उपासना बहुत बढ़ गयी है। दूसरा यह पढ़कर भी सभी को आश्चर्य लगेगा। किन्तु यह एक सत्य हकीकत है। पू. आचार्य कुंदकुंदसूरीश्वरजी महाराज को इससे पहले मैंने प्रत्यक्ष या परोक्ष या किसी तस्वीर में भी नहीं देखा था। उसके बावजूद जो घटना बनी, वह वास्तव में अद्भुत बनी। उसके बाद मैंने उन्हें गुरु माना है। आज उनके आशिष से में शान्ति से जीवन बीता रहा हूँ। मैं सभी को हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि, 'जीवन में शायद कुछ नहीं हो तो आपत्ति नहीं, किन्तु श्री नमस्कार महामंत्र का समरण सच्चे हदय | 342
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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