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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - या कोई उपलब्धि थी। या फिर किसी देव-देवी का प्रभाव था?" आचार्य श्री ने समझाया कि, "इस प्रकार के दर्शन होना तुम्हारी आध्यात्मिक प्रवृत्ति का अच्छा संकेत है, दूसरा कुछ नहीं है। आत्म दर्शन किसी को नहीं होते। केवल केवलज्ञानी भगवन्त ही आत्मा को देख सकते हैं, दूसरा कोई नहीं देख सकता। इसलिए यह आत्म दर्शन नहीं कहलायेगा। तुम अब ऐसी कोई आकांक्षा मत रखना और उसमें फंस मत जाना। दुबारा ऐसे दर्शन हो ऐसी कल्पना मत करना।" उसके बाद मुझे कच्छ में आठ कोटी बड़ी पक्ष के आचार्य पूज्य श्री रत्नचन्द्रजी स्वामी के दर्शन करने जाने का लाभ मिला। उनके समक्ष यह बात की। प्रश्न था कि, 'नवकार मंत्र के जाप से क्या उपलब्धि मिलती है? क्या कर्मों की निर्जरा होती है? या जो दर्शन हुए वह आत्मदर्शन हुए वैसा मान सकते हैं?' पूज्य श्री रत्नचन्द्रजी स्वामी अच्छे त्यागी, विद्वान, एवं ध्यान के योगी थे। उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र का जाप करने से आने वाली व्याधि-आधि दूर हो जाती है। नवकार मंत्र बहुत प्रभावी मंत्र है। कर्मों की निर्जरा करने में बहुत सहायक है। निर्जरा के 12 प्रकारों में उसका उल्लेख नहीं है। उससे निर्जरा के लिए यह सहायक ही गिना जा सकता है। किन्तु निर्जरा के दसवें प्रकार स्वाध्याय में उनकी गिनती हो सकती है। उससे नवकार मंत्र के जाप से ज्ञानावरणीय कर्मों की निर्जरा (क्षय) हो यह संभव है। किन्तु जो दिव्य प्रकाश के दर्शन हुए उसे जरा भी महत्त्व मत देना। वह दर्शन हुए उसका अर्थ यह है कि तुम मन की एकाग्रता साध रहे हो, उससे आध्यात्मिक शक्ति का संवर्धन हो रहा है। कई साधकों को ऐसे दर्शन हुए हैं। वे साधक चाहे उस प्रकार की साधना करें और जब मन एकाग्र हो जाता है, जब मन, वचन और काया शान्त हो जाते हैं, उस समय साधक को बन्द आंखों में ज्योति दिखाई देती है या जिसकी उपासना कर रहे हों, उसके मानो साक्षात् दर्शन होते हैं। किसी साधक को सुगंधी द्रव्य की सुगंध आती है। किसी साधक को मुंह में मधुर स्वाद लगता है। किसी साधक को अपना शरीर एकदम हलके फूल जैसा लगता है। अलग-अलग प्रकार 332
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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