SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 339
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? "तुम अकेली कंपनी तक गई। वहां तुम दोनों को मार डाला होता तो!" मैंने कहा, "मैं अकेली नहीं थी, मेरे साथ मेरा भाई महामंत्र नवकार था।" आज भी मैं और मेरे पति नवकार मंत्र की पांच माला गिनते हैं। हम महामंत्र नवकार के प्रताप से सुखी हैं। आज बड़ा बेटा आई. आई.टी. कॉलेज में पढाई कर के B.TECH, M.TECH. हुआ है। छोटा बेटा आई.आई.टी. में B.TECH कर रहा है। बेटी बी.कॉम कर कम्प्युटर डिप्लोमा में एन.आई.आई.टी. का कोर्स कर रही है। नवकार गिने बिना कोई भी बाहर नहीं जाता है। तीनो बालकों को भी सामायिक-प्रतिक्रमण सिखाया है। जिससे जीवन में उनको प्रत्येक मुश्किल में सहायता मिलती रहे। लेखिका - उर्मिलाबेन के. दोशी, सी/40, इन्द्रदीप सोसायटी, एरवेज होटल के पास, आगरा रोड़, मुम्बई-86 संकट मोचक महामंत्र मेरे ऊपर छोटी उम्र में ही जैन धर्म तथा नवकार का प्रभाव पड़ा। बाल्यावस्था में जल्दी सवेरे जब मैं सोया होता, तब मेरे पिताश्री जल्दी उठकर हम भाई-बहिन सुन सकें उस प्रकार तेज आवाज में पहले तीन नवकार बोलते, फिर गौतम स्वामी का छंद, सोलह सतियों का छंद, शंखेश्वर पार्श्वनाथ का छंद बोलते थे। इनका राग एवं गाने का ढंग ऐसा अच्छा था कि हमको लगता कि पिताजी यह छंद गाते ही रहें और हम सुनते ही रहें। मैं विशेष रूप से उनसे दूर से सोलह सतियों का छंद गवाता और फिर एक चित्त से सूनता। फिर कई बार मन में संशय होता कि, पिताजी यह नवकार मंत्र या छंद किसलिए बोलते होंगे? एक बार मुझसे रहा नहीं गया, इसलिए यह संशय टालने हेतु पिताश्री को पूछ ही डाला कि, 'पिताजी! आप यह जल्दी सवेरे नवकार मंत्र तथा छंद बोलते हो वह किसलिए बोलते हो और उससे क्या फायदा है?' तब उन्होंने मुझे समझाया कि, 'नवकार मंत्र बोलने से अपना पूरा दिन आनंद से बीतता है 312
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy