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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? मुकाम था। भयंकर गर्मी के दिन थे। शाम के समय कहीं चैन नहीं पड़ता था। हम इसी कारण पक्खी प्रतिक्रमण करने उपाश्रय के पीछे के कमरे में बैठे थे। चैत्यवंदन, अष्टोत्तरी की शुरूआत होते ही धीमा पवन शुरू हुआ और आकाश बादलों से घिर गया। पक्खी सूत्र की शुरूआत में हवा ने तूफान का स्वरूप लिया। खिड़की के दरवाजे खड़-खड़ आवाज करने लगे। हमने थोड़ी जल्दी की। पौने आठ बजे प्रतिक्रमण पूरा होने की तैयारी थी। नौवां स्मरण चलता था और वर्षा प्रारंभ हुई। प्रतिक्रमण पूर्ण करके उपाश्रय के अन्दर आये तो एक भी पाट नहीं था। हम सामान उपधि अलमारी के ऊपर रखकर खिड़कियां बन्द करने लगे। हवा के झोंकों से खिड़कियां बन्द नहीं हो रही थीं। बिजली चमककर शरीर के ऊपर घुम जाती थी। बारिस खिड़की में से अन्दर आती थी। घनघोर अंधकार, कुछ समझ में नहीं आ रहा था। बिजली की चमक जरा शान्त हो तो, वर्षा तैयार । उसमें उपाश्रय के विलायती नलियों की एक दिशा की दो लाइनों में नलिये नहीं थे। उसमें मेघराज की सम्पूर्ण कृपा हुई और उपाश्रय पानी से भरने लगा। कोई उपाय शेष नहीं रहा । बाहर चहल-पहल नहीं थी। पास में दर्जी की दुकान थी। वह भी निष्क्रियता से बैठा था। मैंने अपनी शिष्या सा. श्री विजयपूर्णाश्रीजी को कहा कि, "सारी माथापच्ची छोड़कर, चलो नवकार माता को याद करने बैठ जायें।" हम दो आसन पास-पास बिछाकर परमेष्ठ मंत्र गिनकर नवकार के जाप में लीन हो गये। प्रायः डेढ घंटा जाप में लीन रहे। बिजली की चमक, बादलों की गर्जनाहट, हवा की सांय-सांय ध्वनि से कांप जाते फिर भी आसन पर से नहीं खिसके। इसलिए नवकार माता ने अपने बच्चों को संभाल लिया। चार अलमारियां एवं हमारे दो आसन छोड़कर उपाश्रय जल से भर गया था। 10 बजे वृष्टि का तांडव शांत हुआ तब भक्ति करने वाले लुहाणा भाई लालटेन लेकर आये। उन्होंने दरवाजा खुलवाया, और चारों ओर देखा तो आश्चर्य से उद्गार निकल गये कि, 'इतने पानी में आसन की जगह सूखी कैसे?" किसी अजीब शक्ति ने हमारा पूरा-पूरा रक्षण किया। दूसरे दिन आटकोट की ओर विहार करते रास्ते में वृक्षों पर पक्षियों की लाशें 276
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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