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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? अज्ञात गांठ निकली थी। गले में से पानी भी नहीं उतरता था। उस समय विलायती (अंग्रेजी) दवा या इन्जेक्शनों का ग्रामीण प्रजा में बिल्कुल कम प्रचार था। वैसे भी विलायती दवा नहीं लेनी, वैसी मान्यता थी। फिर भी| वे परिवार के आग्रह से 50-60 रू. के इन्जेक्शन और दवाई लेने को तैयार हुए। वहाँ हम विहार करते हुए चूड़ा पहुँचे। समजु बहिन अपने परिवार के साथ वंदनार्थ आये। मैंने औपचारिक वार्तालाप और धर्म ध्यान का उपदेश दिया। साथ में आये बहिन चन्दनबेन ने समजुबेन की पीड़ा की बात की। मैंने सहजता से कह दिया, "हम पटेल, किसानी शरीरवालों से विलायती दवाई, इन्जेक्शन लिये जा सकते हैं? दया धर्म कर महामन्त्र नवकार का स्मरण करो।" यह सुनकर बहिन ने मन में गांठ बांध दी। उन्होंने बहुत समझाने पर भी दवा नहीं ली। वे श्रद्धा पूर्वक नवकारमंत्र का स्मरण करते रहे। अजीब चमत्कार हुआ। उसी रात गले में आराम हो| गया। जहाँ पानी भी गले में नहीं जाता था, वहां सवेरे दूध ले लिया। शाम को खिचड़ी दूध और दूसरे दिन बाजरे की मोटी रोटी भी!!! "जलोदर शान्त हुआ" भृगुकोट के एक राजपूत बहिन को जलोदर हो गया था। वैद्यों के अनेक उपचार करने के बाद भी फर्क नहीं पड़ा। हम विहार करके वहां गये तब बहिन ने अपनी पीड़ा की बात की। उन्होंने भावना व्यक्त की कि ऐसी पीड़ा से अच्छा है कि भगवान की भक्ति करके मर जाऊँ। उनकी श्रद्धा और भावना देखकर मन्त्र का पाठ करवाया। उनकी इच्छानुसार एकांतर उपवास करने की प्रेरणा की। अचित्त पानी वगैरह का ज्ञान करवाया। तीन माह तक एकान्तर उपवास, नवकार जाप तथा भक्तामर स्तोत्र की प्रभावी गाथा-उद्भूत जलोदर... की पूरी माला गिनने के बाद रोग चला गया। पीड़ा गयी। उसकी नवकार महामन्त्र पर श्रद्धा दृढ़ हुई। __"कुत्ते ने प्रतिक्रमण किया (पीछा छोड़ा)!" ____ कच्छ प्रदेश में अंजार से एक कि.मी. दूर विहार करते हुए साथ के साधु पीछे रह गये। एक बड़ा बाघ जैसा कुत्ता सामने आया। आगे के 261
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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