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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? घर में रहकर भी तीन चार घन्टे आराधना करते थे, तो उसे कैसे प्रमादी बने?" छोड़कर अब आंगी के समाचार गांव में फैल गये। पुलिस को बात की और कहा " इस गाँव में कोई ऐसा नहीं होगा, किन्तु बाहर से आये गये लोगों की जाँच हो तो ज्यादा अच्छा। पुलिस अधिकारी भी समझ गया । तुरन्त गाड़ी मंगवाकर अधिकारी तथा दूसरे तीन-चार आदमी बैठे और बड़े स्टेशनों पर समाचार देने निकले। " उस समय टेलीफोन वगैरह की व्यवस्था नहीं थी। आश्चर्य की बात यह हुई कि जो दो आदमी आंगी चुराकर ले गये वह दसाड़ा - चौराहे पर किसी ट्रक द्वारा पहुँच गये थे और उन्हें तत्काल दूसरे किसी गांव भागना था। पुलिस की गाड़ी को दूसरी गाड़ी समझकर इन दोनों ने हाथ ऊँचाकर रोकने की सूचना दी। पुलिस ने भी ऐसे अनजान लोगों को देखते ही गाड़ी रोक दी। पुलिस को देखते ही एक चोर भागा, दूसरा भागता उसके पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया और थैली में देखा तो आंगी - मुकुट थे । तुरन्त ही पुलिस अधिकारी चोर तथा आंगी लेकर आये। हम प्रतिक्रमण करके आये, वहां समाचार मिले कि आंगी मिल गयी है। यह चमत्कार देखकर सभी आश्चर्य मुग्ध - बन गये । वास्तव में यह नवकार मन्त्र का ही प्रभाव था । यदि आंगी नहीं आयी होती तो दीक्षा की उमंग भंग हो जाती। किन्तु चमत्कार से आंगी आ गयी और उत्साह में और अभिवृद्धि हुई। इस चमत्कारिक घटना के बीच हमारी दीक्षा अत्यन्त आनन्द - उत्साह के वातावरण में सम्पन्न हुई। नवकार मंत्र की विशुद्व आराधना द्वारा सभी आत्म श्रेय साधें, यही मंगल कामना । लेखक - पू. आ. विजय भद्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पू. मुनि श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा. 244
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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