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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - की। इस आराधना से तन-मन की शुद्धि हुई। फिर मैंने किसी भी कार्य की | शुरूआत में नवकार मंत्र का रटन चालु किया। यह नवकार मन्त्र मेरे जीवन में ऐसा घुल मिल गया, कि अब मन इसमें ही पिरोया हुआ रहता है। __हम एक बार हमारे मण्डल की ओर से महाराष्ट्र से तीर्थभूमियों की यात्रा के लिये निकले। अचानक बस खराब हो गयी। बहिनों की संख्या ज्यादा थी। व्यवस्था करने के लिए पुरूष वर्ग में पाँच ही भाई थे। सभी घबरा गये। रात्रि का समय... क्या करना? चिंतित हुए। हमने तुरन्त ही नवकार मंत्र का जाप शुरू किया। करीब चार घण्टे बाद सामने के गाँव से बस आयी। दोनों बसों के ड्राइवर मिलकर मेहनत करने लगे। हम बहिनों का जाप अखण्ड चालु था। बस व्यवस्थित हो गयी। हम सबको बहुत आनन्द हुआ। हम उस दिन का यात्रा प्रवास कर जैसे-तैसे अपने-अपने घर पहुंचे। जाप और आराधना से, मंत्र के प्रभाव से आपत्ति में से मुक्त हुए। मेरी दिन-प्रतिदिन श्रद्धा-आस्था बढती गयी। दृढ़ता बढ़ी। मंत्र रग-रग में समा गया। एक बार मेरे ऊपर असाध्य रोग ने हमला किया। निष्णात डॉक्टरों की सलाह से मुझे अस्पताल जाना पड़ा। ऑपरेशन करना पड़े, वैसी स्थिति थी। ऑपरेशन करने का दिन आया। सभी के हदय में कम्पन थी। सभी गम्भीर बन गये थे। मैंने ऑपरेशन थियेटर में प्रवेश किया। मेरे मन में कुछ भी गम, चिन्ता नहीं थी। बस श्री नवकार का रटन। ऑपरेशन सफल हुआ। मुझे आठ दिन बाद घर लाये। बोलने का बन्द था। केवल प्रवाही देते। ऐसी स्थिति में अखंड जाप एवं स्मरण करना नियमित चालु था। मंत्र के बल से ही अच्छा हुआ। यह बात बराबर हदय में उतर गयी। कोई पूछे, तब मैं छाती ठोक कर जबाब देती हूँ कि, "मुझे कुछ नहीं है। श्री नवकार की शरण ही मेरे रोग में सहाय रूप है।" में अभी भी खूब आनन्द से आराधना-साधना-जाप करती हूँ। ... हम जहाँ-जहाँ तीर्थयात्रा पर गये, वहाँ-वहाँ भी अनेक चमत्कार घटित हुए। इसमें श्री नवकार मंत्र, नवस्मरण और स्तोत्रों के रटन से 239
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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