SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 257
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? टकराया। सभी को चोटें आईं। कितनों को अस्पताल ले जाना पड़ा। किंतु | यह भाई नवकार मंत्र गिनते रोड़ पर आराम से खड़े थे। उन्हें कोई चोट नहीं लगी थी। "भूत का भय दूर हुआ" थोड़े वर्ष पूर्व पू. आ. श्री धर्मसूरिजी म.सा. (काशीवाले) की इच्छा हुई कि काशी (बनारस) में जैन तत्त्व के अभ्यास के लिए एक बोर्डिंग-स्कूल खुले। छोटे स्थान पर स्कूल प्रारंभ की। विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने के कारण बड़े स्थान की जरूरत पड़ी। अंग्रेजों की खाली कोठी मिल गई। किंतु लोगों ने कहा कि, "इस मकान में भूत रहता है। किसी को रहने नहीं देता। बालक भी घबराये। किंतु आचार्य म.सा. कहते हैं कि, "तुम आराम से रहना, मैं चौबीस घंटे जाग्रत रहूंगा। किंतु प्रत्येक विद्यार्थी को 108 नवकार मंत्र का जाप और प्रतिदिन एक आयंबिल करना होगा।" प्रवेश के दिन से शुरूआत करवाई। महिने बीत गये किंतु किसी को कोई तकलीफ नहीं हुई। अंग्रेज किराया लेने आये। तो आचार्य श्री ने कहा, "हम भाड़ा नहीं देंगे। चाहिये तो मकान खाली करके देंगे।" अंग्रेजों ने कहा, "क्या भूत चला गया है?" आचार्य श्री ने कहा- "भूत तो मुझे प्रतिदिन दिखाई देता है, किंतु हमारे प्रत्येक के जाप और आयंबिल के तप से कुछ भी नहीं कर सकता।" अंग्रेज चुप हो गये। विद्यालय खाली करने की बात नहीं की। | "आग ठंडी हो गई" संवत् 2019 में कलकत्ता में एक संघर्ष के दौरान जैनों का मकान जलाने उपद्रवी आये। सभी जैन जान को हाथ में लेकर नवकार के ध्यान में बैठ गये। वे लोग पेट्रोल डालते परन्तु आग नहीं लगती थी। दो घंटे मेहनत की परन्तु जला नहीं। इतने में पुलिस आ गई और सभी उपद्रवियों को पकड़कर ले गई। जैन बच गये। "कैंसर केन्सल हो गया" ___ हमारे ईडर (गुजरात) में सन् 1985 के चातुर्मास में सुनी हुई घटना 230
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy