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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - मन के वांच्छित पूर्ण करता है। भव समुद्र को शोखता है। इस लोक एवं परलोक के सुख का मूल वही है। सभी पापों का नाश करने वाले, संसार का विलय करने वाले, कर्म को निर्मूल करने वाले, केवलज्ञान की प्राप्ति कराने वाले, सकल संघ को सुख देने वाले, कल्याण की परम्परा को प्राप्त कराने वाले, अनन्त संपदा को देने वाले, जन्म-मृत्यू की जंजाल में से जीवों को छुड़ाने वाले इस नवकार मंत्र की महिमा वाणी से वर्णनातीत है। शब्द भी उसे समझाने के लिए कम पड़ते हैं। ऐसे तरण तारणहार, परमपद को प्राप्त कराने वाले, शिवसुख को देनेवाले, सिद्धपद पर स्थापित कराने वाले, अचिंत्य सामर्थ्ययुक्त नवकार को इस हदय के अनंत अनंत नमस्कार...। लेखकः- प्रो के.डी. परमार, __ श्रावक पोल, देरासर शेरी, मु.पो. जंबूसर, जिला-भरुच पिन-392150 (उपरोक्त घटना के आलेखक प्रो. के.डी. परमार ने जन्म से अजैन होने के बावजूद नवकार मंत्र के अजोड़ आराधक स्व. पू.पं. श्री भद्रंकरविजयजी म.सा. के सत्संग से जैन धर्म प्राप्तकर साधना द्वारा अत्यन्त अनुमोदनीय आत्मविकास साधा है। उन्होंने वडाला, नालासोपारा तथा डोंबीवली आदि में हमारी निश्रा में सभा के समक्ष नवकार महामंत्र तथा जिनभक्ति विषय पर अत्यंत मननीय वक्तव्य पेश किया था- संपादक) भूत का भय भाग गया! __ मूल ईडर के वतनी श्री शशिकांत भाई अहमदाबाद में कमरा किराये लेने के लिए घूमते थे। उन्हें बहुत तलाश करने पर कमरा तो मिला, किंतु कमरे की मालकिन वृद्धा ने कहा कि, "तीन मंजिल खाली नहीं हैं। चौथे मंजिल पर एक कमरा खाली है। किंतु उस कमरे में कोई किरायेदार सात दिन से ज्यादा नहीं टिकता है। इसलिए तुम विचार करके आना।" 228
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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