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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? रही थी । वहाँ उसे टाइफॉइड होने से बहुत कमजोरी आ गई। परीक्षा को केवल 15 दिन शेष थे। बहिन को घर आने की इच्छा होते ही उसके लिए अपने पिताजी को पत्र लिखा। पिता ने पत्रोत्तर में लिखा कि, "तुझे जितना याद रहे उतना पढ़ना और प्रतिदिन नवकार का स्मरण करना और बिल्कुल नहीं घबराना। अंत में परीक्षा में पेपर लिखते समय नवकार गिनकर जो याद रहे वह लिख डालना। "जहां उत्तीर्ण होने की भी आशा नहीं थी, उसके बदले नवकार के प्रभाव से 60 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए। उसके बाद नौकरी के लिए प्रार्थना पत्र पेश करते ही उसे तुरंत गांव में अच्छी नौकरी मिल गई। इस तरह नवकार मंत्र का प्रभाव अजीब है। इसलिए वाचक भी श्रद्धा रखकर उसे जीवन में उतारें। श्री नमस्कार महामंत्र का तेज संध्या का समय था। सूर्य धीरे-धीरे क्षितिज में अदृश्य हो रहा था। पशु-पक्षी अपने स्थान की ओर जा रहे थे। जिनमंदिर के शिखर पर मोर बैठा था। जैसे जगत को महान संदेश देता हो- "अरे! जीवों, संसार के भौतिक सुखाभास में तुम किसलिए खोये हो? क्या तुम्हें वीतराग देव के दर्शन करने की अभिलाषा नहीं जगती है? मैं कैसा प्रभु के दरबार में बैठा हूँ! कितनी शांति ! कितनी प्रफुल्लता ! किंतु अरे, जैसे मोर की मूक बात का जवाब मिल रहा हो वैसे मंदिर में घंटनाद हुआ। जगमलसेठ अपनी हमेशा की आदत के अनुसार प्रभु दर्शनार्थ पधारे थे। प्रभु दर्शन करके वे आज सुबह ही पधारे महाराज साहेब को वंदन करने गये । " प्रभु! आपने यहाँ पधारकर हमें पावन किया । " महाराज साहेब को वंदन कर जगमल सेठ बोले, "कहो, गांव में धर्म के प्रति कैसी रुचि है?" " रुचि तो प्रभु अब कहाँ रही है? लोगों की धर्म के ऊपर से श्रद्धा उठती ही जा रही है। किंतु आप यदि उपदेश देंगे तो लोगों का मानस पलट सकता हैं। " 183
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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