SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? किये, सार-संभाल बढ़ती गई वैसे-वैसे मेरी श्रद्धा भी उत्तरोत्तर बढ़ती गई। मैंने चौबीस घंटे नवकार का स्मरण चालु ही रखा। आखिर महामंत्र के प्रति श्रद्धा की विजय हुई। मेरा सिर्फ डेढ़ महिने में ही प्राणघातक कैंसर जैसे रोग से छुटकारा हो गया। दवाइयों, डॉक्टरों का साथ था ही, परंतु उन सभी का साथ दिलाने वाला अनमोल महामंत्र नवकार ही था। 'नवकार महामंत्र रूपी चुम्बक के आकर्षण से भौतिक साधन खींचकर आ गए, ऐसा कहना ज्यादा योग्य है। अन्त में मुझे फिर से विश्वास हो गया कि, हदय की गहराई से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नहीं जाती है, यदि उस प्रार्थना में श्रद्धा सुदृढ़ हो। यदि यह लेख एकाध आत्मा को थोड़ा भी हिला सके या किसी के हदय में नमस्कार महामंत्र के प्रति श्रद्धा प्रकट कर सके तो यह लेखनी सफल हुई है, ऐसा मानूंगी। अग्नि शीतल होवे तत्काल गुजरात के एक गाँव में एक श्रावक रहता है। वह अत्यंत धर्मचुस्त और नवकार के प्रति श्रद्धालु है। उसके जीवन में घटित हुई यह घटना है। वह एक बार रात में 11-30 बजे सोये हुए थे। उनके घर के पास में घास भरा हुआ था , उसमें अचानक आग लग गई। आग विकराल रूप धारण करे, उससे पहले ही , पास के मौहल्ले में कलह होने से लोग जाग रहे थे। वे आग की लपटें देखते ही तुंरत दौड़े। उन्होंने पास में रहा पानी का पंप चालु कर दिया। पानी डालते ही आग शांत हो गई। जिससे थोड़ा सा भी नुकसान नहीं हुआ। यदि वह आग आगे बढ़ती तो पूरे मोहल्ले को राख कर डालती। उस भाई ने जगकर जैसे ही यह लपटें एवं कोलाहल देखा, वैसे ही नीचे आकर, मन में नवकार का जाप चालु ही रखा था। एक बार इस भाई की बेटी मैट्रिक के बाद S.T.C. की पढाई कर 182
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy