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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? |श्रीकांत को श्मशान जाना पड़ा। मित्र की मृत्यु के बाद श्रीकान्त अपने गांव वापिस आया, उस दौरान उसके दिमाग में एक ही विचार उमड़ रहा था। उस उका भगत के पास ऐसी कौन सी विद्या है, जिसके कारण वह ऐसी सत्य भविष्यवाणी बोल सके? "यह विद्या तो अति अद्भुत है। ऐसी शक्तियां प्राप्त की जाएं, तो जिंदगी सफल हो जाये।" ऐसी इच्छा श्रीकांत के मन पर कब्जा कर बैठी थी। . श्रीकांत को जाँच करने पर इतना जानने को मिला कि उका भगत मेलड़ी माता के उपासक थे और वार त्यौहार, समय बेसमय उनके मुंह से निकलती भविष्यवाणी सही होती थी। भविष्य कथन कर सकने की शक्ति प्राप्त करने की प्रबल उत्कंठा श्रीकांत के हदय में जाग गई थी। उसने उका भगत के पास से वह विद्या, किसी भी प्रकार से प्राप्त करने का निश्चय किया। भगत का पता प्राप्त कर श्रीकान्त उका भगत के गांव की ओर चल पड़ा। वहां पहुंचकर जिस मोहल्ले में भगत रहते थे, वहां पहुंच गया। भगत का घर कहाँ है, ऐसा किसी से पूछने से पहले ही पास में स्थित झोंपड़ी के बंद दरवाजे के पीछे से एक आवाज आई! "आओ, आओ, श्रीकांत भाई! तुम आए तो सही!" श्रीकांत के आश्चर्य का पार न रहा। यह आदमी क्या सर्वज्ञ है? झोपड़ी में बैठा-बैठा बंद दरवाजे के पीछे से नाम लेकर पुकारता है। भगत की बहु ने झोंपड़ी का दरवाजा खोला। श्रीकांत अंदर आया। "निकाल दो, श्रीकांत भाई! यह विचार तुम्हारे मन में से निकाल दो, तुम्हारे जैसे का इसमें काम नहीं।" उका भगत गंभीरता से बोले। "भगत, मुझे यह विद्या प्राप्त करनी है।" - श्रीकांत बोला। "मुझे पता है। इसके बिना तुम यहां दौड़े नहीं आते। किंतु तुम्हारे लिए इसमें पड़ने जैसा नहीं है, तुम्हारा यह काम नहीं है। जैसे आए हो वैसे वापिस जाओ। जो करते हो, वही करते रहो।" भगत मना करते रहे, वैसे-वैसे श्रीकांत मजबूत बनता गया। "मुझे तो 174
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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