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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? बोलता गया। नवकार पूरा होने के बाद उन्होंने वासक्षेप डालकर आशीर्वाद दिया।. उन्होंने मुझे कहा, "तू छः महीने तक नियमित गिनना। तू जरुर ऊपर आ जायेगा। कितना ऊपर आता है वह तू किस प्रकार गिन सकता है, उस पर आधारित रहेगा।" मैंने उनके आशीर्वाद से उसी दिन से एक पक्की माला गिनना प्रारंभ किया। ऐसे तो मैं मुम्बई में शेयर बाजार के दलाल के वहां मासिक 200 से 250 रु. के वेतन पर काम करता था, जहां सुबह से रात के नौ बजे तक काम करना पड़ता था। ___ जाप शुरु करने के तीन माह बाद मेरे एक मामा ससुर, जो वर्षों से जापान रहते हैं, उनका अचानक पत्र आया कि, "यहां एक घर के आदमी की जरुरत है। तुम जापान आओ तो तुम्हें पचास हजार वार्षिक तनख्वाह खाने-पीने के साथ दूंगा। तुम्हें मेरे साथ ही रहना होगा। इस कारण लगभग 30-40 हजार की बचत होगी।" मुझे तीन महिनों में ही नवकार का प्रभाव दिखाई दिया। साहेबजी के पास जाकर विगत बताकर पूछा, 'जाऊँ या नहीं?' उन्होंने कहा, 'जहा सुखं' किन्तु वहां जाकर नवकार मंत्र को. मत भूलना। मैंने ता. 4.2.66 के दिन पहली बार विदेश प्रयाण किया। मैंने वहां ज्यादा समय मिलने के कारण 10 माला गिनना शुरु किया। जब शुरुआत की, तब एक माला में 20 मिनट लगती थी। धीरे-धीरे एकाग्रता बढ़ने से 7 मिनट में एक माला होने लगी। फिर प्रतिदिन 25 माला गिनना शुरु किया। जब पहला नव लाख जाप पूरा किया तब वार्षिक तनख्वाह दो लाख हुई। मैंने वहां 13 वर्ष तक काम किया। फिर मैंने जब उनका काम छोड़ा, तब मेरी वार्षिक आय तीन लाख तक पहुँची। मैं 1977 में नौकरी छोड़कर मुम्बई आया। साहेबजी से मिला, जाप की प्रगति बतायी। वे खुश हो गये। उन्होंने कहा, तेरे पूरे घर में नवकार फलीभूत हुआ है। अब एक माला गिनते वक्त केवल 1मिनट लगती थी। जाप दुगुना किया। जिससे हर छः माह में नौ लाख नवकार जाप पूरा होने लगा। साहेब ने कहा, "अब तू नवकार का करोड़पति बन।" मैंने उनकी आज्ञा 138
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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