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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? प्राकृतिक विपदा है। पीयूष ने एक छोटा स्थान देखकर एक आसन में बैठकर नवकार मंत्र का जाप प्रारंभ किया, और सोचा कि महावीर स्वामी मार्ग दिखाएं तो अच्छा, नहीं तो मौत की मुझे चिन्ता नहीं । महावीर स्वामी मेरे साथ हैं । शंखलपुर की गुफा आधा किलोमीटर दूर होने के कारण बस के ड्राईवर एवं कण्डक्टर ने देर रात तक राह देखी । प्रत्यक्ष गुफा तक जांच की, परन्तु वे गुफा जैसा नहीं दिखाई देने से बस को वापिस अरोड़ी गांव में ले आये। सार्वत्रिक भूकम्प होने से अरोड़ी गांव में प्रवासी बस के वापिस आने की सभी राह देख रहे थे, किन्तु जब जल्दी सवेरे बस खाली आते | देखी तो गांव में हाहाकार मच गया। गांव के सौ विद्यार्थियों में से पच्चीस तो पास के गांवों के थे। गांव वाले शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के वापिस न आने से ढूंढने के लिए ड्राईवरों एवं कंडक्टरों से मिले एवं जानकारी प्राप्त की। पीयूष के पिता साधन सम्पन्न होने के कारण अन्य लोगों के साथ शंखलपुर की गुफाओं तक घूम आये। परन्तु गुफाओं का पता नहीं चला। जगह-जगह बड़ी तिरछी लम्बी शिलाएं देखकर उन्होंने माना कि शायद दूसरे स्थान पर गये होंगे, एवं भूकंप के कारण कहीं फंस गये होंगे। रात को अरोड़ी गांव के लोग वापिस आये । स्वंय शंखलपुर के लोग भी गुफा ढूंढने गये, किन्तु शिला कुदरती रूप से इस प्रकार ढक गई थी कि, वास्तव में गुफा कहाँ है, वे यह तय नहीं कर पाये। गुफा में फंसे शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को दो दिन से पानी एवं भोजन नहीं मिला, इससे उनकी शक्ति क्षीण होने लगी, जिससे वे शान्ति से बैठकर इष्टदेव का जाप कर रहे थे। केवल पीयूष हिम्मत रखकर एक आसन में बैठकर नवकार मंत्र की माला फेरता था। वह जैसे-जैसे जाप करता गया, वैसे-वैसे कुदरती शक्ति शरीर में बढ़ती गई। स्फूर्ति भी ज्यादा लगती, जिससे वह सबको कहता कि, 'मित्रों! एवं साहेबजी ! तुम सब विश्वास रखना। अपने को बचाने वाला मिल ही जायेगा । वास्तव में शिला देखकर लगता था कि उसे नहीं 131
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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