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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? "4 'भले ही डंक मारे, परन्तु मैं इस बालक को रोता हुआ तो नहीं देख सकती। उन्होंने ऐसे कहकर बालक को उठाया और उसे नवकार महामन्त्र सुनाया। तब बालक ने बहुत ही हर्षित होकर उन नागदेवता से कहा 'बापा, बापा ! मुझे जो आवश्यकता थी, वह मिल गया। आप इन्हें कुछ वरदान दो।" 44 तब नागराज ने पू. गुरुवर्या श्री को कहा, "मांगो, मांगो, तुम्हें जो चाहिये वह दे दूं।" पूज्य श्री ने कहा, 'मुझे दूसरा कुछ नहीं चाहिये, किन्तु मैं शंखेश्वरजी जा रही हूँ। वहां मेरी अट्ठम करने की भावना है। वह निर्विघ्नता से पूर्ण हो, इतना ही चाहती हूँ।' "तथास्तु" कहकर नागराज अदृश्य हो गय। बाद में पूज्य श्री शंखेश्वर पहुंचे। उन्होंने बड़ों की अनुमति प्राप्त कर अट्ठम तप किया। उन्हें तीसरे उपवास में रात को सोते समय थोड़ी चिन्ता हुई कि सुबह समय पर उठा नहीं गया तो रोज के संकल्प के अनुसार जाप कैसे हो सकेगा ? जाप पूर्ण किये बिना मुंह में पानी भी नहीं डालने का संकल्प था। वे इसी चिन्ता में सो गये और रात को 12 बजे निद्रा दूर होते ही बैठ गये और नवकार महामन्त्र का जाप करने लगे। दस-बारह नवकार गिने कि वहां तो भीड़भंजन पार्श्वनाथजी नये रूप धारण करने लगे । पू. गुरुवर्या श्री कहने लगे, 'आप तो वीतराग भगवान हों, तो फिर नये-नये रूप लेकर मुझे क्यों खेला रहे हो। 44 44 फिर भी वह दृश्य चालु रहा। तब पू. गुरुदेव श्री ने कहा आप मुझे श्री सीमन्धर स्वामी भगवान के दर्शन करवाओ।" और, वास्तव में वहां पूज्य श्री को अद्भुत समवसरण के दर्शन हुए। उसमें विराजमान हुए श्री सीमंधर स्वामी भगवान अमृत से भी मधुर वाणी में " प्रमाद त्याग" विषय पर देशना दे रहे थे। भगवन्त के शब्द भी पूज्य गुरुवर्या श्री को स्पष्ट सुनाई दिये । पूज्य श्री के आनन्द का पार नहीं रहा। थोड़ी देर बाद घंटनाद सुनाई दिया। समवसरण अदृश्य हो गया। उसके स्थान पर पुनः 120
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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