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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? ___ जिनदास को नवकार खानदान से मिला था। इस मंत्र के गहरे रहस्यों की इसे कोई विशेष जानकारी नहीं थी, इसलिये इस महामंत्र पर दिल की गहराई में से ज्ञान गर्भित श्रद्धा का अभिषेक करने का सद्भाग्य उसे कहाँ से मिले? फिर भी सामान्य श्रद्धा के जल बिन्दु छांटने का थोड़ा सौभाग्य तो जरूर जाग्रत था, जिससे वह प्रतिदिन महामंत्र पर अपनी आस्था के आधार पर नियमित जाप करने का व्रत अतिशुद्ध प्रकार से रख सकता था। इस जाप के पलों में बहुत बार इसके हदय में से ऐसी भावना के तरंग उठने लगे कि इस मंत्र का कोई प्रभाव-परचा मुझे देखने को मिले तो कैसा अच्छा! इस भावना की सफलता की प्रतीक्षा में कई पल, दिन, महिने और वर्ष बीत गये। परन्तु भावना के इस तंरगों में संभावना की कोई रंगरेखा वह नहीं ही देख सका। जीवन में कभी विचित्र क्षण भी आता है, कि जब मनुष्य का सोचा हुआ होता है कुछ, और बन जाता है दूसरा ही कुछ! कई बार दुर्घटना आशीर्वाद में बदल जाती है, तो कभी आशीर्वाद, दुर्घटना की ओर | भीषण मोड़ ले लेता है। जिनदास के जीवन में एक बार ऐसा ही विचित्र समय आया। जिनदास का एक अजैन मित्र शक्ति का उपासक था और शक्ति उपासक भौपे के साथ उसका अच्छा परिचय था। इस मित्र ने एक दिन जिनदास को कहा, "जिनदास! यह दुनिया तो अजीब-गजब की विचित्रताओं का एक मेला है। श्रद्धा की आंख खोलकर देखा जाए तो इस मेले का आनन्द अनुभव किया जा सकता है। इच्छा हो, तो शक्ति की उपासना का परचा (चमत्कार) देखने के लिए आने हेतु मेरा निमंत्रण है। एक भोपा ऐसा प्रत्यक्ष चमत्कार बता सकता है। गंगा घर-आंगन में ही आयी हुई है।" जिनदास का कुतुहल यह बात सुन कर अपने मन को वश में न रख सका। इसको लगा कि, 'भले ही मैं जैन हूँ, किन्तु देखने में क्या आपत्ति है? मुझे विश्वास है कि, मेरे मन में चल रहा महामंत्र नवकार का अजपाजप मेरी श्रद्धा को जरा भी विचलित नहीं होने देगा।' 105
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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