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________________ (26) वस्त्र आदि के आदान-प्रदान, जुगुप्सित कुलों में आहार, वस्त्र, स्थान आदि ग्रहण करने, पृथिवी, संस्तारक आदि पर अशन आदि रखने, गृहस्थ आदि के साथ उनसे आवेष्टित परिवेष्टित होकर आहार करने, आचार्य उपाध्याय की आशातना करने, अतिरिक्त उपधि रखने, सचित पृथिवी आदि संयम विराधना वाले तथा चलाचल स्थानों पर उच्चार प्रखवण के परिष्ठापन आदि का लघु चातुर्मासिक प्रायश्चित्त प्रज्ञप्त है। सत्रहवें उद्देशक में कुतूहल के कारण त्रस - प्राणियों को बांधने - खोलने, विविध प्रकार की मालाओं, आभूषणों, वस्त्रों को धारण करने आदि का, अन्यतीर्थिक अथवा गृहस्थ से निर्ग्रन्थ एवं निर्ग्रन्थी के द्वारा परस्पर पादप्रमार्जन, कायप्रमार्जन आदि करवाने, मालापहत एवं उभित्र भिक्षा ग्रहण करने, पृथिवी आदि पर प्रतिष्ठित एवं अत्युष्ण आहार आदि ग्रहण करने, आत्मश्लाघा आदि करने, तत, वितत आदि शब्दों को सुनने के संकल्प से जाने का लघुचातुर्मासिक प्रायश्चित्त प्रज्ञप्त है। अठारहवें उद्देशक में नौकाविहार एवं वस्त्र सम्बन्धी अनेक निषिद्ध पदों के अतिक्रमण का प्रायश्चित्त प्रज्ञप्त है। उन्नीसवें उद्देशक में बहुमूल्य कस्तूरी आदि औषध द्रव्यों को क्रीत, उधार आदि रूपों में ग्रहण करने, मात्रातिक्रान्त ग्रहण करने आदि, स्वाध्याय सम्बन्धी विविध विधिनिषेधों के अतिक्रमण करने एवं व्युत्क्रम से वाचना देने, योग्य को वाचना न देने, अयोग्य को वाचना देने, पार्श्वस्थ आदि शिथिलाचारी साधुओं से वाचना ग्रहण करने एवं उन्हें वाचना देने आदि पदों का प्रायश्चित्त प्रज्ञप्त है। बीसवें उद्देशक में दान प्रायश्चित्त एवं उसके विविध विकल्पों का सविस्तार वर्णन है । प्रायश्चित के दस प्रकारों में प्रथम आठ प्रायश्चित्त तीर्थ पर्यन्त रहेंगे। उनमें अन्तिम दो-तप और छेद प्रायश्चित की दान विधि का संक्षिप्त स्वरूप इस प्रकार उपलब्ध होता है- निशीथ टब्बा, जयाचार्य कृत झीणी चर्चा, तात्विक ढाल ७ के आधार पर प्रायश्चित्त विधि का यंत्र प्रायश्चित्त तप भिन्नमास उपवास २५ उपवास २७ उपवास ३० उपवास १०५ उपवास ४ उपवास १२० दिन १२० बेला ६ उपवास १६५ दिन १६५ तेला ६ उपवास १८० दिन १८० महानिशीथ के दूसरे अध्ययन, झीणी चरचा, तात्त्विक ढाल ८ के आधार पर उपवास आदि के अन्य मानदंडों की तालिका १. १२०० गाथाओं का स्वाध्याय १ उपवास १ उपवास १ उपवास १ उपवास १ उपवास १ उपवास १ उपवास १ उपवास लघुमास गुरुमास लघु चौमासी गुरु चौमासी लघु छहमासी गुरु छहमासी २. ३. ४. प्रत्याख्यान निर्विकृतिक २५ ४ एकासन २ आयम्बिल पूर्वार्द्ध २७ एकासन ३० आयंबिल ४ १६०० नवकार का जप २००० गाथाओं का वाचन ४५ नवकारसी २४ प्रहर १२ पुरिमार्द्ध (दो प्रहर) १० अपार्थ (तीन प्रहर ) ६ नीवी आगम की ८ गाथाओं का ध्यान में अर्थ सहित चिन्तन आगम की १३ गाथाओं का सार्थ चिन्तन आगम की २० गाथाओं का साथ चिन्तन आगम की ४० गाथाओं का सार्थ चिन्तन छेद दिन २५ दिन २७ दिन ३० दिन १०५ १ उपवास १ उपवास १ उपवास २ उपवास १ बेला १ तेला
SR No.032459
Book TitleNisihajjhayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size16 MB
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