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________________ ४२० भारतीय संस्कृति के विकास में जैन वाङ्मयका अवदान पूर्णिमा - — इस तिथिके स्वप्नका फल अवश्य मिलता है । कृष्णपक्षको प्रतिपदा - इस तिथिके स्वप्न का फल नहीं होता है । कृष्णपक्षको द्वितीया - इस तिथिके स्वप्नका फल विलम्बसे मिलता है । मतान्तर से इसका स्वप्न सार्थक होता है । कृष्णपक्षकी तृतीया और चतुर्थी---इन तिथियोंके स्वप्न कृष्णपक्षको पंचमी और षष्ठी -- इन तिथियोंके स्वप्न दो भीतर फल देने वाले होते हैं । मिथ्या होते हैं । महीने बाद और ३ वर्षके कृष्णपक्षको सप्तमी - इस तिथिका स्वप्न अवश्य शीघ्र ही फल देता है । nor पक्षको अष्टमी और नवमी--इन तिथियोंके स्वप्न विपरीत फल देने वाले होते हैं । कृष्णपक्षको दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी इन तिथियोंके स्वप्न मिथ्या होते हैं। कृष्णपक्षको चतुर्दशी - इस तिथिका स्वप्न सत्य होता है तथा शीघ्र ही फल देता है । अमावस्या — इस तिथिका स्वप्न मिथ्या होता है । जैन निमित्तशास्त्र के आधार पर कुछ विशिष्ट स्वप्नोंके फल धनप्राप्ति सूचक स्वप्न स्वप्न में हाथी, घोड़ा, बैल और सिंहके ऊपर बैठकर गमन करता हुआ देखे तो शीघ्र धन मिलता है। पहाड़, नगर, ग्राम, नदी और समुद्र इनके देखने से भी अतुल लक्ष्मीकी प्राप्ति होती है। तलवार, धनुष और बन्दूक आदि से शत्रुओं को ध्वन्स करता हुआ देखनेसे अपार धन मिलता है । स्वप्न में हाथी, घोड़ा, बैल, पहाड़, वृक्ष और गृह इन पर आरोहण करता हुआ देखनेसे भूमिके नीचेसे धन मिलता है । स्वप्न में भख और सेमसे रहित शरीरके देखनेसे लक्ष्मीकी प्राप्ति होती है । स्वप्न में दही, छत्र, फूल, चमर, अन्न, वस्त्र, दीपक, तम्बाकू, सूर्य, चन्द्रमा, पुष्प, कमल, चन्दन देव- पूजा, वीणा और अस्त्र देखनेसे शीघ्र ही लाभ होता है । यदि स्वप्न में चिड़िया पर पकड़कर उड़ता हुआ देखे तथा आकाश मार्गमें देवताओंकी दुन्दुभिकी आवाज सुने तो पृथ्वीके नीचेसे शीघ्र धन मिलता है । सन्तानोत्पादक स्वप्न स्वप्नमें वृषभ, कलश, माला, गन्ध, चन्दन, श्वेत पुष्प, आम, अमरूद, केला, सन्तरा, नीबू और नारियल इनकी प्राप्ति होनेसे तथा देव, मूर्ति, हाथी, सत्पुरुष, सिद्ध, गन्धर्व, गुरु, सुवर्ण, रत्न, जौ, गेहूं, सरसों, कन्या, रक्त-पान करना, अपनी मृत्यु देखना, केला, कल्पवृक्ष, तीर्थ, तोरण, भूषण, राज्य मार्ग, और मट्ठा देखने से शीघ्र सन्तानकी प्राप्ति होती है । किन्तु फल और पुष्पोंका भक्षण करना देखनेसे सन्तान मरण तथा गर्भपात होता है । मरण सूचक स्वप्न स्वप्नमें तेल मले हुए, नग्न होकर भैंस, गधे, ऊँट, कृष्ण, बैल और काले घोड़ेपर चढ़कर दक्षिण दिशाकी ओर गमन करना देखनेसे; रसोई गृहमें, लाल पुष्पोंसे परिपूर्ण वनमें और सूतिका गृह में अंगभंग पुरुषका प्रवेश करना देखनेसे; झूलना गाना, खेलना, फोड़ना, हँसना, नदीके जलमें नीचे चले जाना तथा सूर्य, चन्द्रमा, ध्वजा और तारा ओंका गिरना देखनेसे; भस्म, घी, लोह, लाख, गीदड़, मुर्गा, बिलाव, गोह, न्योला, बिच्छू,
SR No.032458
Book TitleBharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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