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________________ अर्थसहयोगी श्री दीपचंद जी भूरा का संक्षिप्त परिचय -... माँ करनी की जगत्प्रसिद्ध नगरी देशनोक की धर्मभूमि में यहाँ के सुप्रतिष्ठित भूरा परिवार में जन्मे श्री दीपचन्दजी सा. भूरा ओसवाल समाज के रत्न हैं। आपके पिता श्रीयत भीखनचन्दजी सा. भूरा समाज के अग्रगण्य सुश्रावक थे और माता सोनादेवी में धर्म-सेवा की लगन सदैव बनी रहती थी, वे सुश्राविकाओं के गुणों की धारक थीं। उन्होंने बाल्यकाल से ही कठोर तपस्वी जीवन अपनाया और अन्त समय तक तपःपूत बनी रहीं। श्री भूराजी का जन्म अपने ननिहाल भीनासर में संवत् १९७२ में हुआ। आपके चार भाई हुए। सबसे बड़े भाई स्वर्गीय श्री तोलारामजी भूरा सरल स्वभावी सुश्रावक थे। अन्य तीन भाई सर्वश्री चम्पालालजी भूरा अग्रज तथा डालचन्दजी व बालचन्दजी अनुज हैं। श्री चम्पालालजी देशनोक जैन जवाहर मंडल के अध्यक्ष हैं। सभी भाई कुशल व्यवसायी हैं और सम्पूर्ण परिवार की समताविभूति आचार्यश्री नानालालजी म. सा. के प्रति अनन्य श्रद्धा है । श्री दीपचन्दजी भूरा हर क्षेत्र में अग्रगण्य व सौभाग्यशाली रहे हैं। आपके सात पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं, जो सभी धार्मिक प्रकृति एवं सात्विक विचारों के प्रतीक हैं। धार्मिक जीवन माता और पिता के सुसंस्कारों की धरोहर को श्री भूराजी ने अपने जीवन में निरन्तर प्रवर्धमान किया है। धर्म के प्रति एवं परम पूज्य जैनाचार्य श्री नानालालजी म. सा. के प्रति आपकी और आपके पारिवारिक जनों की प्रगाढ़, अविचल, असीम श्रद्धा है। श्री भूराजी धार्मिक कार्यों में दान प्रदान करने में कभी पीछे नहीं रहे। अकाल में संकटग्रस्त गोधन की रक्षा का प्रश्न हो या अन्य राष्ट्रीय-प्राकृतिक आपदाओं का अवसर, श्री दीपचन्दजी भूरा सदैव एक सच्चे धार्मिक की भांति मुक्तहस्त से सहस्रों रुपयों का दान देते हए दिखाई देते हैं । आपके दान से शताधिक संस्थाएँ व व्यक्ति अपने जीवनोन्नयन में समर्थ हए हैं। व्यापारिक जीवन श्री भूराजी ने केवल १४ वर्ष की अल्पायु में ही व्यापारिक क्षेत्र में प्रवेश किया और जीवन-व्यवहार की प्रत्येक सीख को अपनी कुशाग्रबुद्धि से सूक्ष्मतापूर्वक ग्रहण किया । अपने व्यापार को बहुआयामी बनाते हुए आपने अनाज, कपड़ा, कपास व रुई के क्षेत्रों में विस्तीर्ण किया । आप भारत के प्रमुख रुईनिर्यातकों में से एक हैं। जापान आपके माल का मुख्य आयातकर्ता है । आपने देशनोक जैसे छोटे-से कस्बे में भारतीय खाद्य निगम के भंडारण की व्यवस्था की। भारत के विभिन्न भागों में आपके व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं। सामाजिक क्षेत्र अपने जीवन के उषाकाल से ही व्यवसायदक्षता प्राप्त करने में जुट जाने पर भी श्री भुरा सामाजिक जीवन में अपनी भागीदारी के प्रति हमेशा जागरूक रहे। समाज-ऋण से उऋण होने के लिए आप संकल्पित रहे और सामाजिक सेवाकार्यों में अग्रणी रहे । सद्य-सम्पन्न देशनोक नगरपालिका के चुनावों में आपका निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना व आप द्वारा किया सदस्यों का मनोनयन १५,००० की आबादी के कस्बे में सर्वसम्मति से व सहर्ष स्वीकार हो जाना सम्पूर्ण भारत में एक आदर्श उदाहरण है। यह आपके वादातीत व्यक्तित्व का प्रतीक है।
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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