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________________ मार्गी जैन संघ को तन-मन-धन से सहयोग देनेवाले वरिष्ठ और प्रमुख उन्नायकों में हैं एवं परमश्रद्धेय आचार्यप्रवर पूज्य श्री नानालाल जी म. सा. में आपकी प्रगाढ़ श्रद्धा है। स्थायी कार्यों को करने में अधिक रुचि होने से आपने 'श्री भीखनचन्द दीपचन्द भूरा साहित्य प्रकाशन कोष' की स्थापना की है। जिसकी ओर से उत्तम ग्रंथों के संग्रह एवं प्रकाशन किये जाने की योजना है। अन्त में हम श्रीमान दीपचन्दजी सा. भूरा का आभार मानते हैं कि आपके सहयोग और प्रेरणा से इस ग्रंथ को प्रकाशित कर सके हैं। आशा है इसी प्रकार से आपका सहयोग मिलता रहेगा, जिससे संघ के लक्ष्य को पूर्ति होने के साथ समाजसेवा करने की आपकी भावना से समाज लाभान्वित हो । वक्तव्य के उपसंहार में पाठकों से यह अपेक्षा रखते हैं कि वे कर्मसिद्धांत का परिज्ञान करने के लिये ग्रंथ का अध्ययन, मनन और स्वाध्याय करेंगे। निवेदक जुगराज सेठिया अध्यक्ष चम्पालाल डागा हस्तीमल नाहटा सहमंत्री . पीरदान पारख मंत्री समीरमल कांठेड़ विनयकुमार कांकरिया सहमंत्री
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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