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________________ २१३ २१४ २१५ २१८ २२१ २२२ ११. ध्र २२४ २२५ २२७ २२९ २३७ २४३ २४५ २४६ १८. २४६ २५२ २५२ २५८ २३. २५९ सम्यक्त्व, हास्य, रति, पुरुषवेद को शुभ प्रकृति मानने का अभिमत . .. ७. कर्मों के रसविपाक का स्पष्टीकरण ८. गुणस्थानों में बंधयोग्य प्रकृतियों का विवरण (अ) सम्यक्त्वी के आयुबंध का स्पष्टीकरण शुभ प्रकृतियों का उत्कृष्ट स्थितिबंध होने पर भी एकस्थानक रसबंध न होने का कारण गुणस्थानों में उदययोग्य प्रकृतियों का विवरण ध्रवबंधी आदि इकतीस द्वार यंत्र १२. जीव की वीर्यशक्ति का स्पष्टीकरण १३. लोक का घनाकार समीकरण करने की विधि १४. असत्कल्पना द्वारा योगस्थानों का स्पष्टीकरण दर्शक प्रारूप १५. योगसंबन्धी प्ररूपणाओं का विवेचन १६. वर्गणाओं के वर्णन का सारांश एवं विशेषावश्यकभाष्यगत व्याख्या का स्पष्टीकरण १७. नामप्रत्ययस्पर्धक और प्रयोगप्रत्ययस्पर्धक प्ररूपणाओं का सारांश मोदक के दृष्टान्त द्वारा प्रकृतिबंध आदि चारों अंशों का स्पष्टीकरण १९. मूल और उत्तर प्रकृतियों में प्रदेशाग्राल्पबहुत्व दर्शक सारिणी २०. रसाविभाग और स्नेहाविभाग के अंतर का स्पष्टीकरण असत्कल्पना द्वारा षट्स्थानक प्ररूपणा का स्पष्टीकरण २२. षट्स्थानक में अधस्तनस्थानप्ररूपणा का स्पष्टीकरण अनुभागबंध-विवेचन संबन्धी १४ अनुयोगद्वारों का सारांश .. २४. असत्कल्पना द्वारा अनुकृष्टिप्ररूपणा का स्पष्टीकरण (१) अपरावर्तमान ५५ अशुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप (२) अपरावर्तमान ४६ शुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप परावर्तमान २८ अशुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप (४) परावर्तमान १६ शुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का प्रारूप (५) तिर्यंचद्विक और नीचगोत्र की अनकृष्टि का प्रारूप (६) त्रसचतुष्क की अनुकृष्टि का प्रारूप २५. असत्कल्पना द्वारा तीव्रता-मंदता की स्थापना का प्रारूप (१) अपरावर्तमान ५५ अशभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता . (२) अपरावर्तमान ४६ शुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता (३) परावर्तमान १६ शुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता (४) परावर्तमान २८ अशुभ प्रकृतियों की तीव्रता-मंदता (५) त्रसचतुष्क की तीव्रता-मंदता (६) तिर्यंचद्विक और नीचगोत्र की तीव्रता-मंदता २६. पल्योपम और सागरोपम का स्वरूप २७. आयुबंध और उसकी अबाधा संबन्धी पंचसंग्रह में आगत चर्चा का सारांश २८. मूल एवं उत्तर प्रकृतियों के स्थितिबंध एवं अबाधाकाल का प्रारूप स्थितिबंध अबाधा और निषेकरचना का स्पष्टीकरण ३०. गाथाओं की अकारादि-अनुक्रमणिका ३१. बंधनकरण : विशिष्ट एवं पारिभाषिक शब्दसूची बंधनकरण : कतिपय महत्त्वपूर्ण प्रश्न २६२ २६३ २६४ २६५ २६६ २६७ २६८ २६८ २६९ २७० २७१ २७५ २७८ २८३ २८७ २८९ २९० २९. स्थिातबध २९४ २९७ २९९ ५२
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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