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________________ कर्मप्रकृति : बंधनकरण विषयानुक्रमणिका गाथा वर्ण्य विषय गाथा - १ मंगलाचरणात्मक पदों की व्याख्या आठ कर्मों के नाम और उनके लक्षण ज्ञानावरणकर्म की उत्तरप्रकृतियां व उनके लक्षण दर्शनावरण कर्म की उत्तरप्रकृतियां व उनके लक्षण • वेदनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियां और उनके लक्षण मोहनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियां और उनके लक्षण नोकषायों को कषायों का सहचारी मानने का कारण रति -अरति मोहनीय को वेदनीयकर्म से पृथक् मानने का कारण आयुकर्म की उत्तरप्रकृतियां नामकर्म की उत्तरप्रकृतियां गति नामकर्म के भेद व उनके लक्षण जाति नामकर्म का लक्षण जाति नामकर्म को पृथक मानने का कारण गति नामकर्म को पृथक मानने का कारण शरीर नामकर्म के भेद व उनके लक्षण अंगोपांग नामकर्म के भेद व उनके लक्षण बंधन नामकर्म के भेद व उनके लक्षण संघातन नामकर्म के भेद व उनके लक्षण संघातन नामकर्म को पृथक् मानने का कारण 'संहनन नामकर्म के भेद व उनके लक्षण संस्थान नामकर्म के भेद व उनके लक्षण वर्णचतुष्क नामकर्म के भेद व उनके लक्षण आनुपूर्वी नामकर्म के भेद व उनके लक्षण विहायोगति नामकर्म के भेद व उनके लक्षण अप्रतिपक्षा आठ प्रत्येकप्रकृतियों के नाम और उनके लक्षण प्रतिपक्षा प्रत्येक प्रकृतियों के नाम और उनके लक्षण साधारण और प्रत्येक नामकर्म को पृथक् मानने का कारण गोत्रकर्म की उत्तरप्रकृतियां और उनके लक्षण अन्तरायकर्म की उत्तरप्रकृतियां और उनके लक्षण बंध, उदय और सत्ता की अपेक्षा उत्तर प्रकृतियों की संख्या बंधन नामकर्म के पन्द्रह भेद और उनके लक्षण संचालन नामकर्म के पांच भेद मानने का स्पष्टीकरण कर्मप्रकृतियों का वर्गीकरण व वर्गों के नाम ४२ : पृष्ठ ३-४७ ३ ८ ८ १० १० ११ १२ १३ १३ १४ १४ ?* * १५. १५ १६ १६ १६ १६ १७ १८ १९ १९ १९ २१ २२ २३ २४ २४ २५ २६ २६
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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