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________________ परिशिष्टं २५३ ३. जिस अंक के आगे किसी प्रकार का चिह्न नहीं हो तो उस अंक वाला अध्यवसायस्थान उससे पूर्व के अध्यवसायस्थान से अनन्तभागाधिक जानना चाहिए। जैसे कि २,३,४,६ आदि। अर्थात् पहले से दूसरा अनन्तभागाधिक, दूसरा से तीसरा अनन्तभायाधिक, तीसरे से चौथा अनन्तभागाधिक, पांचवें से छठा अनन्तभागाधिक आदि। ४. अंगुल के असंख्यातवें भाग में जितने आकाशप्रदेश हैं, उस संख्या की कंडक यह संज्ञा है। परन्तु यहां असत्कल्पना से कंडक संख्या ४ समझना चाहिए। ५. 'अ' असंख्यातभागाधिक का संकेतचिह्न समझना चाहिये। जैसे कि 'अ ५' अर्थात् ४थे स्थान से ५वां स्थान असंख्यातभागाधिक है। इसी तरह 'अ१०' अर्थात् १०वां ९वें से, 'अ२०' अर्थात २०वां १९वें से असंख्यातभागाधिक है। ६. 'क' संख्यातभागाधिक का संकेतचिह्न है। जैसे 'क२५' अर्थात् २४वें स्थान से २५वां स्थान संख्यातभागाधिक है। इसी तरह 'क५०' वह ४९वें स्थान से और क१५०' वह १४९वें स्थान से संख्यातभागाधिक है। ____७. 'ख' संख्यातगुणाधिक का संकेतचिह्न है। यथा 'ख १२५', वह १२४वें से संख्यातमुणाधिक, ‘ख ३७५' वह ३७४वें से संख्यातगुणाधिक है। ८. 'ग' असंख्यातगुणाधिक का संकेतचिह्न है। यथा 'ग६२५', वह ६२४वें से असंख्यगुणाधिक, ‘ग १२५० वह १२४९वें से असंख्यातगुणाधिक है। ९. 'घ' अनन्तगुणाधिक का संकेतचिह्न है। यथा 'घ३१२५' वह ३१२४वें से अनन्तगुणाधिक, 'घ६२५०,' वह ६२४९वें से अनन्तगुणाधिक है। - १०. जिन दो अंकों के बीच में धन (+) का चिह्न हो, वहां ऐसा समझना चाहिये कि उन दोनों के बीच अनन्तभागाधिक के एक कंडक प्रमाण (असत्कल्पना से ४) स्थान हैं। यथा-'अ२५५+अ२६०' यहां 'अ २५५' २५६-२५७-२५८-२५९ 'अ२६०' इस प्रकार जानना चाहिये। ............ २५९ 'अ२६° इस प्रकार जानना चाह . ११. जिन दो अंकों के बीच गणा (x) का निशान हो, वहां अनन्तभागाधिक का १ कंडक, पश्चात् १ स्थान असंख्यातभागाधिक का, पश्चात् अनन्तभागाधिक का १ कंडक, पश्चात् १ स्थान असंख्यातभागाधिक की संख्या १ कंडक प्रमाण (असत्कल्पना से ४) होती है और ऊपर अनन्तभाग का एक कंडक होता है। असकल्पना से २४ स्थान समझना चाहिये । जैसे कि क३१५०४ क ३१७५ = ३१५१, ३१५२,३१५३, ३१५४, अ३१५५+ अ३१६० + अ३१६५ + अ३१७० +क३१७५ । १२. षट्स्थानक प्ररूपणाओं में गुणाकार का प्रमाण इस प्रकार जानमा चाहिये१. अनन्तभागवृद्धिस्थान कंडक प्रमाण (असत्कल्पना से ४ अंक) २. अनन्तभागवृद्धिस्थान से असंख्यातभागवृद्धिस्थान -कंडकाधिक, कंडकवर्ग प्रमाण ... (२० अंक) संख्यातभागवृद्धिस्थान -कंडकाधिक, कंडकवर्गद्वयाधिक, कंडकघन . (१०० अंक) ४. अनन्तभागवृद्धिस्थान से संख्यातगुणवृद्धिस्थान , कंडकवर्गोन, कंडकाधिक, कंडकवर्ग-वर्गद्वय प्रमाण :: (५०० अंक)
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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