SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 289
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३६ ३२० आत्मप्रदेशों की पंचम स्पर्धक २४५ करोड़ १ वीर्याविभाग पाले २४५ , २ , " २४५ ॥ ३ ॥ ॥ ॥ २४५ , ४ , , , प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , ३०० २९० " , " , " , १२२० इस प्रकार पंचम स्पर्धक में १२२० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। छठा स्पर्धक २४६ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले २८९ आत्मप्रदेशों की २४६ , २ , , , २८८ ॥ ॥ " २८७ , , , २४६ , ४ ॥ ॥ " २८६ , , , प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , ११५० इस प्रकार छठे स्पर्धक में ११५० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। सातवां स्पर्धक २४७ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले २८४ आत्मप्रदेशों की २४७ , २ ॥ ॥ ॥ २८३ " " " २४७ , ३ , , , . २८२ , , , २४७ , ४ , , , २८१ , , , प्रथम वर्गणा द्वितीय, तृतीय , चतुर्थ " ११३० इस प्रकार सातवें स्पर्धक में ११३० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। आठवां स्पर्धक २४८ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले २६९ आत्मप्रदेशों की २४८ , २ , , , २६८ ॥ ॥ ॥ २४८ , ३ " " " - २६७ , , , २४८ , ४ , , , २६६ ॥ 1 ॥ प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , १०७० इस प्रकार आठवें स्पर्धक में १०७० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। नौवां स्पर्धक २४९ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले २३९ आत्मप्रदेशों की २४९ , २ ॥ ॥ ॥ २३८ , " " २४९ , ३ , " " २३७ " " " २४९ , ४ ॥ ॥ ॥ प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , ९५० इस प्रकार नौवें स्पधंक में ९५० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें।
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy