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________________ २३४ कर्मप्रकृति प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , चतुर्थ स्पर्धक ७५ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले - ४०० आत्मप्रदेशों की .. ७५ , २ " " " ३९० " " " ७५ ॥ ३ ॥ ॥ " ३८० , ७५ , ४ , , , - ३७० , , , १५४० इस प्रकार चतुर्थ स्पर्धक में १५४० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। पंचम स्पर्धक ७६ करोड १ वीर्याविभाग वाले ३६० आत्मप्रदेशों की ३५० " " " ३४० ॥ ॥ " प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , १३८० इस प्रकार पंचम स्पर्धक में १३८० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। छठा स्पर्धक ७७ करोड १ वीर्याविभाग वाले ..... ३२० आत्मप्रदेशों की ७७ , २ ॥ ॥ ॥ ३१० , , , ७७ , ३ , , , ..... ३९० . .. ७७ , ४ , , , २९० , , , प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय .. चतुर्थ ..... ....... ... ... ...... १२२० इस प्रकार छठे स्पर्धक में १२२० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। सातवां स्पर्धक ७८ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले २८९ आत्मप्रदेशों की ७८ , २ ॥ ॥ " २८८ ॥ ॥ " ७८ , ३ , , , २८७ ॥ ॥ ॥ ७८ , ४ , " " २८६ , , , प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ ॥ ११५० इस प्रकार सातवें स्पर्धक में ११५० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें । आठवां स्पर्धक ७९ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले . २८४ आत्मप्रदेशों की ७९ , २ , , , २८३ , , , २८२ ॥ ॥ ॥ २८१ ॥ ॥ ॥ प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , ११३० इस प्रकार आठवें स्पर्धक में ११३० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें।
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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