SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 286
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट सातवां स्पर्धक २४ करोड १ वीर्याविभाग वाले २४ , २ " " " ३२० आत्मप्रदेशों की ३१० , , , ३०० " " " २९० " " " प्रथम वर्गणा द्वितीय , तृतीय , चतुर्थ , १२२० इस प्रकार सातवें स्पर्धक में १२२० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें । तीसरा योगस्थान प्रथम स्पर्धक ७२ करोड १ वीर्याविभाग वाले ७२ , २ , , , ७२ , ३ , , , ७२ , ४ , , , ५२० आत्मप्रदेशों की ५१० " " " प्रथम वर्गणा द्वितीय तृतीय , चतुर्थ , २०२० इस प्रकार प्रथम स्पर्धक में २०२० आत्मप्रदेशों की चार धर्गणायें। द्वितीय स्पर्धक ७३ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले ४८० आत्मप्रदेशों की ७३ , २ , " " ४७० , " " प्रथम वर्गणा द्वितीय, तृतीय , चतुर्थ , ४५० , , , १८६० इस प्रकार द्वितीय स्पर्धक में १८६० आत्मप्रदेशों की चार वर्गणायें। तृतीय स्पर्धक ७४ करोड़ १ वीर्याविभाग वाले ४४० आत्मप्रदेशों की ४३० , , , ७४ , ३ , , , ४२० , , , प्रथम बर्मणा द्वितीय, तृतीय , चतुर्थ , १७०० इस प्रकार तृतीय स्पर्धक में १७०० आत्ममदेखों की चार बर्वषायें।. . सवमामा . .
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy