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________________ दृष्टांत : १२५-१२८ जद ऊ बोल्यौ-उण रे हाथ मै भाठौ आयौ। जद स्वामीजी बोल्याअबै थैइ विचार लेवौ। १२५. आप रौ नाम काई ? पुर भीलवाडै बिचै स्वामीजी पधारतां, ढूंढार नी तरफ रौ एक भायौ मिल्यौ । तिण पूछ्यौ-आपरौ नाम कांई ? जद स्वामीजी बोल्या-म्हारौ नाम भीखण जद ऊ बोल्यौ-भीखणजी री महिमा तौ घणी सुणी है सो आप एकला रूख हेठे बैठा हो । म्है तो जाण्यौ साथै आडंबर घणौ हुसी । घोड़ा हाथी रथ पालखी प्रमुख घणौ कारखानो हुसी। __ जद स्वामीजी बोल्या-इसो आडम्बर न राखां जद हिज महिमा है साध रौ मारग औहीज है । इम सुणनै राजी हुवी। १२६. मिश्र री सरधा काचौ पाणी पायां पुण्य सरधै ते पुण्य री सरधावाळा बोल्याभीखणजी ! मिश्र री श्रद्धा घणी खोटी है। ____जद स्वामीजी बोल्या-किणरी एक फूटी किणरी दोय फूटी। ज्यू यां री तो एक फूटी है अनै थांरी दोनूं फूटी है। १२७. आरंभ घणो हुवो रुघनाथजी वाला बोल्या-भीखणजी ! देखो जोधपुर में जैमलजी वाला रे थानक आधाकर्मी आरम्भ घणौं हूऔ । जद स्वामीजी बोल्या-यां रै तो आरंभ थयौ अनै बीजां रै आरंभ हूंतौ दीसै है । कचा रा पका हुंता दीसै है । १२८. मरणवालो बूड़े के मारणवालो ! किणहि पूछ्यौ-भीखणजी ! कोई बकरा मारतां नै बचायौ तिणनै कांई थयौ। जद स्वामीजी बोल्या-ज्ञान सूं समझायनै हिंसा छोड़ायां तो धर्म छ। स्वामीजी दोय आंगुली ऊंची करनै कह्यो-औ तौ रजपूत नै औ बकरी यां दोयां मै बूड़े कुंण ? मरणवाली बूड़े के मारणवाळी बूड़े ? नरक निगोद मै गोता कुण खासी? जद ऊ बोल्यौ-मारण वालौ बूडै ? जद स्वामीजी बोल्या-साधू बूड़ता नै तारै रजपूत ने समझावै बकरा
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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