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________________ भिक्षु दृष्टांत ने तीजा पौहर नीं गोचरी करणी। गांम मैं रहिणी नहीं। पछ स्वामीजी मिल्या। आगै देखै तौ पहिला पोहर मैं गोचरी करै। स्वामीजी पूछ्यौ-थे तीजा पौहर नीं गोचरी कहो नै पहला पौहर नीं क्यूं करौ। जद तड़क नै बोल्या-म्हे तो धोवण पाणी रै वासतै फिरां छां। ___ जद स्वामीजी बोल्या-धोवण पाणी रौ दोष नहीं तो दोय रोटी ल्यायां कांइ दोष ? ___ जद वले बोल्या-साधू नै लडू खाणां नहीं। साधू नैं घी खाणो नहीं। साधू रै क्या बछेरा बछेरी जणावणा है ? साधू ने गांम मैं रहिणा नहीं। जद स्वामीजी बोल्या---थे कहौ छौ साधू नै लडू खांणा नहीं तौ 'देवकी रा पुत्रां लाडू वहिरया', सूत्र मैं कह्यौ छै । .. जद ते बोल्या-ऊवे तौ मोटै पुरुष छा। जद स्वामीजी कह्यौ-मोटा पुरुष है सो वले खावै इज है। जद क्रोध कर बोल्या-तुम तेरापंथी दांन दया उठाई है सो तुमने जगत मैं भांड कर देस्यां। ___ जद स्वामीजी बोल्या--दो हजार भेषधारी आगे कहै है, जो घटता है तौ दोय हजार पूरा हूवा । अनै आगै दोय हजार है तो दोय वधता हुआ। पछै उठा सूं नैणवै गया। स्वामीजी रा श्रावकां रै संका घालण रौ उपाय करवा लागा। जद श्रावक पिण उणांरा ठागा रौ उघाड़ करवा लागा। दोयां मैं एक जणौ बेलै-बेलै पारणौ करै, तिणनें कह्यौ-थे तपस्या ठीक करौ छौ, अनै अ दूजौरा तौ करै नहीं। जद औ बोल्यौ-लोळपणौं छूटां तप ह्र । औ लोळपी है। वले दूजा नै श्रावका कह्यौ-थाने तो उवे लोलपी कहै छै। तब ते बोल्यौ-ओ तपस्या करै, पिण क्रोधी छै । जद दूजोड़ानै कह्यौ-थानै तौ उवे क्रोधी कहै छै । जद दोनूं भेळा होय झगड़वा लागा। जद गृहस्थ बोल्या जोड़ी तौ जुगती मिली, कुशलो नै तिलोक । ऊ थापै, ऊ ऊथपै, किण विध जासी मोख॥ पछै फीटा पड़ने चालता रह्या। ७६. दो साचा बावीस टोळा आपस मैं माहो माही उवै तौ उणांनै झठा कहै, उवै उणांने झूठा कहै। जद स्वामीजी बोल्या कहिणी रै लेखै दो साचा है। उवे ही झूठा है अनै उवे ही झूठा है । इण लेखै दो साच बोल है। ७७. चार आंगुल बटकै रै वासते पादू मैं एक भाये कह्यौ–हेमजी स्वामी री पछवड़ी मोटी दीसै ।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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