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________________ भिक्खु दष्टांत २४. हिंसा मै पुन किया ? रीयां मै अमरसिंगजी रौ साधु तिलोकजी स्वामीजी कनै आय बोल्यौसूत्र मै 'अन्न पुण्णे', 'पाण पुण्णे' आदि नव प्रकारै पुण्य कह्या है। भगवंते प्रदेशी री दानशाळा कही पिण पापशाळा न कही छै, भगवंते 'अन्न पुन' कह्यौ पिण 'अन्न पाप' न कह्यौ । अर ! थे दान-दया उठाय दीधी। स्वामीजी बोल्या-अनुकंपा आंणने कोई नै सेर बाजरी दीधी तिण मै छै तो पुण्य के ? जद बोल्यौ-हम क्या जाणै ? हम तौ मंडिया वांचते । हम आगरै के पाणी पीधे । हम दिल्ली के पाणी पीधे ।। जद स्वामीजी बोल्या-दिल्ली, आगरा मै तो गायां कटै । इण बात मै कांई सिधाई ? सूत्र भण्या है तो कहो। ___इतलै रतनजी जती लूको आयौ । ए बात सुण तिणनै निषेधने बोल्यौम्हे ढीला पड़ गया तौ ही माना एक दाणा मै च्यार प्रज्या, च्यार प्राण । ते खुवायां पुण्य किम हुसी ? अनै थै मुंहपती बांधने क्यूं खोटी हुवा ? एकेन्द्री खुवाया पुण्य कहौ छौ । इम कष्ट कीधौ जब चालतो रह्यो । २५. कुण तार काढे ? रीयां में हरजीमल सेठ कपड़ा री वीनती कीधी । स्वामीजी बोल्या-थे साधां रै अर्थे मोल लेई कपड़ौ वहिरावौ, ते म्हांने कल्पै नहीं। ___ जब सेठ बोल्यौ-बीजा तौ लेवै । हूं मोल लेई वहिरावू मौने कांइ हुवौ ? जद स्वामीजी बोल्या-उणांनै इज पूछ लेवौ । ___ जद सेठ बोल्यौ-कहिण मैं तो मोल ले दियां मै उवे ही पाप ही कहै पिण लेवै तौ उरहौ । म्हारा पहिरण ओढण मांहिंलौ कपड़ो आप लेवौ।। ___ जद स्वामीजी वोल्या-उ पिण नहिं ल्यां । 'बीजा पिण कपड़ो ले गया, भीखणजी पिण ले गया'-कुण तार काढे ? २६. ओ झगड़ो म्हां सूं नहीं मिटै हरजीमल सेठ रागी थयौ जद रुघनाथजी रौ उरजोजी साधु मोटो ओळियौ लेई वांचवा लागौ। भीखणजी उठे अमकड़ियै गांमै कांची पाणी लीधौ, अमकड़ियै गांम कंवाड़ जड़ने सूता, अमकड़ियै गांम नित्यपिण्ड लीधौ, इत्यादिक अनेक दोष पानां सू वाचवा लागौ। जब सेठजी बोल्या-जोधपुर जावौ राजा कनै पुकारौ । आ तौ व्यावट है। औ झगड़ौ म्हां सूं नहीं मिटै । थे इतरा दोष बतावौ अनै उवे कहसी एकइ दोष न सेव्यौ। इणरौ तार किस तरां काढां?
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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