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________________ दष्टांत : २०-२१ २८९ तब हेमजी स्वामी बोले- पहले वाले 'मिच्छामि दुक्कडं' लो, उसके बाद फिर चर्चा करें | तब रूपविजय बोले- बाद में लूंगा । तब हेमजी स्वामी बोले- तुम समझते हो मैं पण्डित हूं पर चौदह पूर्वधारी भी वचन में स्खलित हो जाते हैं । यह कोई ऐसी बात नहीं इसलिए मिच्छामि दुक्कडं स्वीकार कर लो । तब बोला --- अपन साथ में स्वीकार करेंगे। तब हेमजी स्वामी बोले – जो वचन में स्खलित हो उसको मिच्छामि दुक्कडं आता है नहीं चुके उसको नहीं आता । तुम स्खलित हुए इसलिए तुम्हें तो 'मिच्छामि दुक्कडं' आएगा पर मैं त्रुटि नहीं करूंगा तो मुझे किस कारण से आएगा ? इसलिए मिच्छामि दुक्कडं ले लो। फिर भी 'मिच्छामि दुक्कडं' नहीं लेता है । फिर बोले- अब उठो । फिर उठने लगे तब रूपविजय ने रजोहरण पकड़ लिया । तब हेमजी स्वामी बोले- तुम्हें तो क्षमावान सुना है, तुम ऐसे क्या करते हो ? रूपविजय बोले तुम जाओ मत, चर्चा करो । तब हेमजी स्वामी बोले- पहले वाले 'मिच्छामि दुक्कडं लो, फिर चर्चा हो । तब बहुत लज्जित और हैरान हो गया । लोगों ने कहा- अब उठो । तब हेमजी स्वामी बोले- तुम कहो तो अब हम जाएं । तब रूपविजय बोले- तुम्हें असंयति को हम जाने का कैसे कहेंगे ? तब हेमजी स्वामी बोले- हमको असंयति समझते हो तो, जाने का नहीं कहना तो आओ हेम ऋषि ! आओ हेम ऋषि ! ऐसे आने का कहकर कैसे बुलाया ? इस हिसाब से तीसरा 'मिच्छामि दुक्कडं' तुम्हारे कथन के अनुसार फिर आएगा । इस प्रकार रूपविजय को निरुत्तर कर वापस स्थान पर आए । जिन मार्ग का बहुत उद्यत हुआ । क्या चर्चा करने का मन है ? मुनि हेमजी स्वामी ( गृहस्थावास में ) और भीमजी शीतलदास की सम्प्रदाय के हीरजी के पास जा खड़े हुए। तब हीरजी ने पूछा- तुम किस गांव के हो ? तब भीमजी बोले- हम सिरियारी के । उन्होंने पूछा- तुम्हारे गुरु कौन हैं ? तब भीमजी बोले- भीखणजी के साधु वहां है, उनके पास भी जाते हैं और वहां जयमलजी की साध्वियां हैं उनके पास भी जाते हैं । उसके बाद हेमजी स्वामी से पूछा- तुम्हारे गुरु कौन ? तब हेमजी स्वामी ने अपने लहजे में ऊंचे स्वर में कहा मेरे गुरु हैं पूज्य श्री २१ सं० १८४९ के वर्ष कांठेड़ दोनों भीलवाड़ा में
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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