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________________ २५४ हेम दृष्टांत जाण्यौ ४० पाटीया तो अठी ४० पाटीया उठी विचे एक पाटीयो नहीं तिण सूं जिहाज किम डूबे ? इम विचार चाल्या। समुद्र रे बीच मै जिहाज डूब गई ज्यूं दोष री थाप करै तिण रौ साधुपणौ नीपजै नहीं। इम कह्या हीरजी कष्ट हुवौ। जद फेर बोल्यौ-साहूकार एक जागा कराई। हजारों रुपीया लगाया । वर्षा ऋतु मै मेह आयौं कठैक चववा लागौ तौ जीहा जागा काई पड़ गई। ज्यूं किंचित दोष स्यूं साधपणौ किम भाग ? जद हेमजी स्वामी बोल्या जागा तो थे कही जिसीज भारी, पिण नींव छाणा री दीधी, वर्षा घणी आई, जद ते जागा थोड़ा मै पड़ गई, ज्यूं साधुपणौ पचख्यौ पिण श्रद्धा रूप नींव इ शुद्ध नहीं अनै दोष री थाप करै, दोष नै दोस न सरधै। तिण मै समक्त साधपणी एक ही नहीं, इहां पिण हीरजी कष्ट थयो । इम हीरजी ने कष्ट करनै तिहां सामायक करने मीठा कंठ सूं दया भगवती री ढाळ कही । त्यांरा श्रावक सुणनै राजी हुवा, पूछ्यौ आ ढाळ किण कीधी ? जद हेमजी स्वामी कह्यौ-या ढाळ भीखणजी स्वामी कीधी। जद लोक बोल्या-इसी भीखणजी री श्रद्धा है। अठे भीखणजी आया था, १५ दिन रह्या । म्हे तो कनै गया नहीं। पछै दूजे दिन थानक मै सामायक करवा गया, जद ना कहि दीयो । अठे सामायक करो मती, पछै बाजार में आय सामायक कीधी, नंदण मणीयारा नौ बखांण मांड्यो, घणा लोकां सुण्यो, राजी घणा हुवा । जाण्यौ भीखणजी रा श्रावक पिण इसा है, सौ साधां रौ कांई कहिणो। पछै च्यार जणां ने गुरु कराया। पछै पाछा सरीयारी आया । या घर मै छतां री बात है। २२. समकित आवणी दोरी पीपाड़ मै एक जणा ने कह्यौ-"साची सरधा धारौ", साचा गुरु करौ, बैटे पिण उपदेश दीयौ । अनै हेमजी स्वामी पिण कह्यो। ____जद क बोल्यो-इतरा वर्ष तो म्हे काढया, अबे आत्मा न काळो किसी लगाऊं। जद हेमजी स्वामी कह्यो-धर्म सं साचा देव गुरां तूं तौ काळी मिटै है, इण सू काळी लागै वहीं, तो पिण समस्या नहीं। इसा मूरख जीव नै समकत आवणी दोहरी। २३. आछौ देव उपदेश घर मै थका हेमजी स्वामी रे रतनजी भलगट सूं सीजारो थौ। ते
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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