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________________ हाटांत : ९-११ २४० लगावणौ। मंगा रो संघटो इन करणौ। इम कही नै "द्रव्य लाय लागी, भावे लाय लागी" अनुकंपा चौपाई/इण ढाळ री मोकळी गाथा कही, तिण मै कह्यो-"कूआ वारै-लाय बारै काढू, सो ओ तौ उपगार कीयो इण भव रौ" ओ पद आयां लोक बोल्या-भीखणजी उपगार मांन है ? जद हेमजी स्वामी बोल्या-ओ उपगार मांन है। जद लोक घणा राजी हुवा । इतरै चतराशाह आय बोल्या-चरचा आछी हुई माहो मांही हेत रह्यो। अब पधारो। जद ठिकाण पधाऱ्या। स्वामीजी नै आय समाचार कह्या। स्वामीजी सुणनै घणा राजी हुवा। स्वामीजी ए चरचा पाना मै उतार लीधी। ९. थारी श्रद्धा थां कन, म्हारी म्हां कनै ___पाली रै बारे दिशा गया जद टीकमजी बोल्या-थांरे अनुकंपा कोई नहीं, थे जीव बचावी नहीं। जद हेमजी स्वामी बोल्या-म्हारै अनुकंपा घणी तीखी है। भगवान कह्यौ जिण रीते हिंसा छौड़ाय देवां। अनै थे कही-म्हे जबरी सं बचावां, तौ औ नीलो ऊगी है, तिहां गाय आय खावा लागी, थे देखो तो छोड़ावी के नहीं ? जद जाब अटक गयो । मुळक नै बोल्या-थांरी श्रद्धा थां कन, म्हारी श्रद्धा म्हां कन, इम कही चालता रहा। १०. किण रा टोळा रो ? जोधपुर में भेखधारणियां ने हेमजी स्वामी पूछ्यौ-थे किणरा टोळा री? जद ते रीस करनै बोली-थारा गुरां रौ माथी मुंड्यौ त्यांरा टोळा री। जद हेमजी स्वामी बोल्या-म्हारा गुणां रौ माथौ तौ सघला पेली नाई मूंड्यौ तौ थे नाई रा टोळा री हो । जद खीसाणी पड़ने चालती रही। ११. थे तो जीवता बैठा हो? नाथद्वारा मै सं० १८७८ रे रुघनाथजी रा साध बोल्या-थे थानक रौ दोष कहो तो भारमलजी चल्या, मांडी करी, ११ सो रुपीया लगाया, ओ थानै पाप कितरौ लागौ ? । __ जद हेमजी स्वामी बोल्या-उणांने तो चल्यां पछै मांडी मै बेसांण्या, तिण सूं साधां नै पाप लागै नहीं, ज्यूं थान पिण मुंवां पछै थानक मै वेसाण तो थांन ई पाप न लागै पिण थे तो जीवता थानक मै बैठा हो तिण सूं थाने पाप लागै, जद सुणनै वख-वख हंसवा लाग गया।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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