SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८२ भिक्षु दृष्टांत १५०. वह ठीक ही है किसी ने कहा-सूत्रों में कहा है साधु को जीव बचाना चाहिये । तब स्वामीजी बोले- वह ठीक ही है। जीवों को वैसे ही रखना चाहिए जैसे वे हैं, किसी को दुःख नहीं देना चाहिए । १५१. ऐसे होते हैं अज्ञानी अन्य सम्प्रदाय के श्रावकों को पूरी पहचान नहीं, उस पर स्वामीजी ने दृष्टान्त दिया-कोई बहुरूपिया साधु का रूप बना कर आया। उसे पूछा-तुम किस सम्प्रदाय के हो? तब वह बोला-मैं डूंगरनाथजी के सम्प्रदाय का हूं। तुम्हारा नाम क्या है ? उसने कहा-मेरा नाम पत्थरनाथ है। तुम क्या पढ़े हो ? तब वह बोला-पढ़ा कुछ भी नहीं हूं, पर यह जानता हूं कि बाईस टोले अच्छे हैं और तेरापन्थी बुरे । 'तब तुम महापुरुष हो' यह कह कर उन्होंने तीन प्रदक्षिणा से विधिपूर्वक उसे वन्दना की। ऐसे अज्ञानी हैं । वे न्याय और निर्णय करना नहीं जानते । . १५२. भगवती कौन सा अधम्मो मंगल हैं ? स्वामीजी भगवती का वाचन कर रहे थे। एक व्यक्ति ने आकर कहास्वामीजी ! 'धम्मो मंगल' कहो। तब स्वामीजी बोले-भगवती सुनो। वह फिर बोले-स्वामीजी धम्मो मंगल सुनाओ। तब स्वामीजी बोले -भगवती कौनसा 'अधम्मो मंगल है' यह 'धम्मो मंगल' ही है। गांव जाते समय शकुन लिया जाता है, गधे और तीतर को बुलवाया जाता है । वैसे ही 'धम्मो मंगल' सुनना चाहते हो तो बात अलग है और निर्जरा के लिए सुनना चाहते हो, वह दूसरी बात है। १५३. गधे की बात क्यों करते हैं ? किसी ने पूछा-जंगल में कोई साधु थक गया। सहज-भाव से कोई बैलगाड़ी आ रही थी। उस बैलगाड़ी पर साधु को बिठा कर गांव में लाया गया, उससे क्या हुमा ? तब स्वामीजी बोले-बैलगाड़ी नहीं, किंतु सवारी के गधे आ रहे थे। उन पर बिठा कर साधु को गांव में लाया गया, तब उसको क्या हुआ ? तब वह बोला-गधे की बात क्यों करते हैं ? तब स्वामीजी बोले-तुम बैलगाड़ी में बिठा कर लाने में धर्म कहते हो तो गधे
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy