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भिक्खु दृष्टांत २४९. म्हे इसो काम न करावां हिंसाधर्मी इम कह्यौ-आचार्य उपाध्यायादिक बड़ौ साधु हतौ ते विषय रौ बाह्यौ ग्रहस्थ होयवा लागौ। जद कोई श्रावक आपरी बहिन बेटी सूं अकार्य कराय नै पाछौ थिर कीधौ । तिण रौ बड़ौ लाभ हुवौ। __ जद स्वामीजी बोल्या-थारा गुरु भ्रष्ट हुंता हुवै तौ थारी बहिन सूं इसौ काम करावौ के नहीं ?
जद ते बोल्या--म्हे तो इसी काम न करावां।। __ जद स्वामीजी बोल्या-थे इण बात रौ धर्म कहौ तौ इसौ कार्य क्यूं न करावौ। थे इसौ काम न करावौ तौ बीजा रे बहिन बेटी किणरै ऊगलतू पड़ी है। इसी ऊंधी परूपणा तौ कुशीलीया कुपात्र हुवै सौ करै ।
२५०. पाने पड्यौ सो ही खरो ___ अढाई सौ बेला आदि तप पूरौ थयां पछै आप-आप री सामग्री मै लाड दरावै छै ।
__ जद स्वामीजी बोल्या-ए आपरै मुतलब लाडू दरावै छै। जांणै म्हांनै ई वहिरावसी।
जद किण ही कह्यौ-सामीनाथ औ लाड़ किसा सगलाई वहिरै छ ।
जद स्वामीजी दृष्टत दीयौ-एक साहुकार री बेटी परणीजै जद चंवरी मै ब्राह्मण वेद पाठ भणती पोता री डाबरी कनै घी चोरावा री धुन उठाईघी चोरे, घी चोरे, घी चोरे। ____ जद डावरी बोली–स्यां मै चोरू, स्यां मै चोरू, स्यां मै चोरू, स्यां मै चोरू।
जद ब्राह्मण बोल्यौ -कोरू करवू, कोरू करवू, कोरू कवू, कोरू करवं ।
जद डाबरी बोली-सुस जासी, सुस जासी, सुस जासी, सुस जासी। __ जद ब्राह्मण बोल्यौ-तुम्हारा बाप नौ स्यूं जासी, तुम्हारा बाप नौ स्यूं जासी, तुम्हारा बाप नौ स्यूं जासी, तुम्हारा बाप नौ स्यूं जासी।
जद तिहां गीतां मै जाटणी बैठी थी ते घी चोरवा री धुन मै समझ गई।
जद जाटणी गीत मै गावा लागी-सुणजौ हौ वनरी रा हो बाबा थारौ घृत मूसत है।
- जद ब्राह्मण जाटणी ने कह्यौ-रंडे म करी संवादं। अझै अर्द्ध समायरे।
स्वामीजी बोल्या-ज्यू तिण ब्राह्मण कोरा करवा मै घी चोरायौ। सुस