SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 117
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८८ भिक्खु दृष्टांत पिण इण रीते तो आगे सुण्यो नहीं । जद स्वामीजी बोल्या - बखांण तौ ऊहीज है पिंण कहिण वाळा रे मूंहढा फेर है । २२७ जागां तौ परिग्रह मांही है कि हि पूछयौ --- पोसावाळा नै जागा दीधी जिणरौ कांई हुवै ? जद स्वामीजी बोल्या - उण कह्यौ - म्हारी जागा मैं पोसा करो, इम कहिण वाला नै धर्म । जद फेर पूछयौ - जागा दीधी जिण नै कांइ हुवौ | जद स्वामीजी बोल्या- - जागा किसी आधी दीधी है । जागां मैं पोसा री आज्ञा दीधी जिण धर्म है | जागा तौ परिगह माहै छै, ते सेव्यां सेवायां, धर्म नहीं । सामायक पोसा री आज्ञा देव ते धर्म है । २२८. सामायक री जाबता कोई कहै – सामाय मै पूंजने खाज खणें तौ श्रावक ने धर्म है । विनां पूज्यां खाज खणे तो पाप लागे । जद स्वामीजी बोल्या - कीड़ी माछर सामायक मै चटकौ दीयौ ते चटको काया है दीयों के सामायक र दीयौ ? जद तिण कौ - चटको काया रै दीयौ । जद स्वामीजी बोल्या - पूजेने खाज खणै है सो जाबता सामायक री कर है कै कायारी करें है ? जद उण ऊंधी श्रद्धा सूं कह्यौ - जाबता सामायक राकर है। जद स्वामीजी बोल्या - खाजन खणतौ तौ ही सामायक रा जाबता तौ अठी घणी हुंती । जे बिना पूज्यां खाज खाणवा रा त्याग । जो पूंज नहीं खाज खणणी नहीं । खाज न खणै तौ मछरादिक ना चटका सह्यां निर्जरा घणी हुंती । तिण सूं सामायक घणी पुष्ट हुंती । तिण कारण पूंज सो सामायक री जाबतारै अर्थेन पूंजे। अने जे चटकौ काया रै दीयौ पिण सामायक रै नदीयो इम तौ तेहिज कहै । तौ काया री जाबता रै अर्थे शरीर पूंजै नै खाज खणै छै । पण सामायक री जाबता रै अर्थे पूजै नहीं । जे अढाई द्वीप बारला तिच श्रावक सामायक पोसा करें ते किसी पूंजणी राखे छै ? अनै सामायिकरी जाबता तौ त्यांरै पिण तीखी छै । अजैणा न करै ते हीज सामयिक री जाबता छै । २२९. पोसा मैं पडिलेहण क्यूं ? पोसा मैं श्रावक कोई तौ बस्त्र घणा राखै, कोइ थोड़ा राखे । घणा राखे
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy