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________________ भिक्खु दृष्टांत है। यां नीकल्यां रौ लिगार अटकाव नहीं। ० आप बड़ी तोली ___ पछै स्वामीजी उणानै अवगुणवाद बोलता जाणीनै उणारे लारे-लारे विहार कीधौ । तिण सू एक वर्ष मै सात सौ कोश आसरै चालणौ पड़यो । थेट चूरू तांइ पधारया। खेत्रां में कठेइ टिप लागी नहीं। उणां दोनां विहार करतां अनेक कूड़ कपट कीधा-जिण गाम जावता तिण गाम रौ मारग तो न पूछता, अन दूजा गाम रौ मारग पूछता, कारण लारे भीखणजी आवैला तिण सूं । पाछै लारे सू स्वामीजी पधारता, अन लोकां ने पूछता उवे किस गाम गया है ? ____ जद लोक कहै फलाणे गाम रौ मारग पूछता हा। पछै स्वामीजी पोता री बुद्धी सं विचार नै देखता उण गांमरौ मारग पूछ्यौ है, तौ फलाणे गाम गया दिस है, सो तिण हिज गांम चालौ। जद साध कहता--ऊवे तौ उण गाम रौ मारग पूछ्यौ--कहता था, अनै आप अठि नै क्यूं पधारो ? जद स्वामीजी फरमायौ-हूं जाणू छू उणारी कपटाइ । उण गाम रो मारग पूछ्यौ तौ उण गाम नहीं गया अठिनें इज गया दिसै है। आगे जायन देखता तौ बैठा लाधता। अनै कदेइ गोचरी करता मिलता। साध देखने वड़ो आश्चर्य करता । आप बड़ी तोली। उवे लोकां रै संका घाले ते ठाम-ठाम स्वामीजी संका मेट निसंक कीया । श्रावक-श्राविका नै सुद्ध कर दीया । उणांने ओळखाय दीया। मोटा पुरुष बड़ौ उद्यम कीयौ । भलो जिन मारग दीपायौ । ० वंदणा तो करस्यां हिज चूरू कानीं पधारया जद आगै चंद्रभाणजी तिलोकचंदजी पहिला सिरांमदासजी ने संतोखचंदजी नै फंटाय नै आहार पाणी भेळी कर लायौ। पछै स्वामीजी पधारया जद सिवरांमदासजी संतोखचंदजी स्वामीजी ने आंवतां देखनै मथेन बंदामि कहिन ऊभा थया। __ जद चन्द्रभाणजी कह्यौ---आपां रै यार आहार पाणी तौ भेळी नहीं नै थे बंदणां क्यूं कीधी ? जद सिवरांमदासजी संतोखचन्दजी बोल्या-आपां रा गुरु है सो वंदना तौ करस्यां इज । पछै उणां दोयां सूं स्वामीजी बात कर नै समझाया । चन्द्रमाण नै ओळखाय दीयौ । _ पछै स्वामीजी तौ पाछा मारवाड़ पधारया। लारा सू उणां चंद्रभाण तिलोकचंद सूं आहार पाणी तोड़ दीयौ। उणांनै ओळख पिण लीया। बोल्या-यां ...........जिसा स्वामीजी कहता था जिसाइ ज नीकलिया। पछै सिवरांमदासजी संतोकचंदजी दोनूं सुलभ पणें रह्या । उवे दो इ विमुख
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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