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________________ 232 वरंगचरिउ कम्में भरहराउ जिणवर सुउ, बलवंतउ सुरकरिकरसमभुउ। 2/1 5. राजा वसु की कथावसुराउ असच्चहो खयहु गउ, परदब्बु ण लिज्जर तियउ वउ। 1/16 णारय पुणु णिवसिउ दीहयाल, तिरियत्तु वि हुय जट धीयवाल। 6. चक्रवर्ती सुभौम की कथा चक्कवइ सुभोमु पयंडबाहु, पारद्धहो उवरि णिबद्धगाहु।। 1/13 7. द्विपायन मुनि की कथा छप्पंचास कोडि जादवबलु, सुररमणहं जमउरि पत्तउ खलु। 1/12 8. राजा जरासंध की कथा जिम आसि राय जरसिंधबलु, तिम चल्लिउ खंघारुएण। 1/10 (घत्ता) 9. द्रोपदी की कथा दोवइ कारणि अवरु भयावणु, कीयकु हणिउ भीमिबलवंतए। णियबंधव तियदोस बहतए। 1/14 परस्त्री में आसक्ति के परिणाम प्रसंग में इस कथा का उल्लेख किया गया है। वह इस प्रकार है-राजा विराट के घर जब पांडव अज्ञातवास कर रहे थे, राजा का साला कीचक द्रोपदी से अभद्र व्यवहार करता है, वह किसी तरह उसके चंगुल से छूटकर भीम को पूरी घटना सुनाती है। भीम चाल चलकर कीचक का वध कर देता है। इस प्रकार परस्त्री से छेड़खानी या अभद्र व्यवहार करने से यह दशा होती है। 10. जुआ के प्रसंग में युधिष्ठर आदि पाण्डवों की कथा राउ जुहिट्ठिलु बंधव सहियउ, संवच्छरबारह वणे रहियउ।। 1/11 11. चारुदत्त की कथा वणिसुउ णामेण जि चारुदत्तु, विट्ठइ गिह घल्लिउ दुक्ख पत्तु। 1/13 12. बलभद्र की कथा वरसद्धहि कंधि चडावियउ मुयउ जणद्दणु भायरेण। सो किं बलहद्दहि पावियउ, विहियइ अइ सोयाउरेण। घत्ता, 3/3 13. शिवभूति विप्र की कथा सिवभूइ विप्पु लोहेण णडिउ, रयणइ णउ कप्पिय कुगइ पडिउ। 1/12
SR No.032434
Book TitleVarang Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumat Kumar Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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