SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 173
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 162 वरंगचरिउ घत्ता- इय वरसेणइ सज्जि तहि दिण्णु पयाणउ परवरेण। जिम आसि राय जरसिंधवलु तिम चल्लिउ खंधारुएण।। खंडयं- णं समुद्दउ हल्लिउ, भडयणगणु संचल्लिउ । णाणाविह धरि आउहं भंडण करणइ साउहं।।90।। 11 तहि अवसरि पुरतिय भणइ कावि णियकंतहो अग्गइ सुहड भावि। भो भो पिय अक्खिरि णिद्द लेवि लहु आविज्जहि वररयण लेवि। कवि भणइ' फलिह सम उज्ज लाइ आणिज्जहि पिय गय–मोतियाइ । जिम करिवि हार भूसामि' अंगु तो सहलउ सामिय तुज्झ संगु । कवि भणइ णाह आणहि सुवण्णु अरिउल' लुट्टिवि रेहइ सुवण्णु। कायर-पिय पभणइ णाह णिसुणि । आइज्जहि समरणिणाउ णिसुणि कइवइ दिणि सीयलु जलु पिएहि दुद्धर भडसंगरि मा मरेहि। इय णिसुणंतह भडयणह सत्थु चल्लिउ पुराउ वंछहि सुयत्थु। कइ दिणहि पयाणउ दिंतदित। णिय देसहो सरि-सरवर मुयंत। अरिदेसहो मज्झि पयट्ठ कडउ गामुव्वस करहि समूह भडउ। ताणि सुणिउ सुरसेणइ महंतु अरिवरु संपत्तउ वलधरंतु। सो सम्मुह जाइवि रहिउ केम गयवर अग्गइ सारंगु जेम। पुणु णरवइ चिंतिउ णिय मणम्मि वाहुडि पइसिज्जइ णियपुरम्मि रिउ दुद्धरू अवरूवि वलु असंख किं किज्जइ समरंगणहो कंख इउ चिंतिवि गटुंतरि पइट्ठ सज्जियउ सालु वयरिय अदिट्ठ। सज्जियइ णालि गोलाइ जाम सत्तहो खंधारु पहुत्त ताम। चउपासहि वेढिउ णयरु केम संसारिउ कम्मसमूहि जेम। पत्ता :-सो तुं घिउ पुरवरु परवलहि जहि अच्छइ गुणदेविसुउ। पहु देवसेणु संकियउ मणे, सुरकरिकर समदीहभुउ। ___9. A,K,N, तुरंत 11. 1. N, भणइ 2. A, K, N, कलिहं 3. A, K,N, भूसेमि 4. A, K, अरिउर 5. A, K,N, णिसुणंतहं
SR No.032434
Book TitleVarang Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumat Kumar Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy