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________________ 124 वरंगचरिउ अक्ख सुदुहु अण्णु देइ सुदुहु दिण भणियइ चारु घत्ता-इक्कहि दिणि भिल्लणराहिवइ, जणि कुसुंभ अहिहाणउ | णियदेवय पुज्ज पसण्णमणु, चल्लिउ वरंहं राणउ । दुवई - बंधिवि लयउ तेण सो सुंदरु, अमुणिय धम्मदयवरो । देविहि पुरइ एहु घाएसमि, इयं भणिऊण वणयरो । । ४ । । 5 इय मरण वयण णिसुणिवि कुमारु हउं भमिउ आसि बहुजीव जोणि मरण जम्म अवत्थ दिट्ठ एवहि पुणु पत्तउ अंतयालु' मइ चिरभवि किय दाणंतराय सो चिर दुक्किउ इह उवइआउ इउ' चेतंतह ते सवर सव्व बलि अप्प हि कुमरवरंगु जाम जो सवर'णरेंदहु तणउ पुत्तु सो खद्धउ उरयइ विह वसेण सो आणिवि तायइ पासि मुक्क विसहरि खद्धउ इहु वणि भमंतु इय वयणइ दरसिवि तणयचिण्ह हा हायारउ किउ वणयरेहि पुणु उट्ठिउ सवराहिउ रुयंत सो मूढउ भाविय णउ मुणेइ । सो अक्खिज्जइ सहु' लोययारु । मणि चिंतिउ भवकाणणु अपारु । जिणधम्म विहीणउ पावखोणी । गहि-गहि मुक्किय मइ तणु गरिट्ठ । मणि धरमि णाणि जिणवरदयालु । कहु तणिय अवर भोयंतराय । तं सहमि वप्पकोमलसहाउ । देविहि मंदिर आविवि सगव्व' । वरअण्णु अयंभउ हुयउ ताम । आरण भमंतह कय अजुत्तु । महि णिवडिवि मुत्था गयउ । तुह सुय संपत्तउ दुह गुरुक्क । जीवइ जइ दिज्जइ गरुडमंतु । मुत्थाविउ वणयरु' लेसकिण्ह । सीयल जलि सित्तउ सामि तेहि । हा पुत्त पुत्त आयउ कयंत' । मुणिवि, भणइ गरलुल्लउ । हरमि उवयार अमुल्लउ । पयेहि लग्गउ । अब्भग्गउ | 15 || घत्ता - इय करुणायरसर हरं मुणमि मंतु सुहु संभवइ, कय दुवई - इय वयणइ सुणेवि सवराहिउ, झत्ति रक्खहि पुत्तु कालि कवलंतउ महु सो रणि 4. K, भणियइ 5. K, सहू 6. A, पुरइं 7. K, N, इयं 8. N,°कण 5. 1. K,अंतयलु 2. K,वउ 3. A, सगघ 4. N, सविर 5. A, वणंयरू 6. K, सामे 7. N, कयंतु
SR No.032434
Book TitleVarang Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumat Kumar Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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