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________________ वरंगचरिउ 93 कुशलता को प्राप्त करता है। राजा बालक के गुणों की वृद्धि को देखकर विचार करता है। किसी की पुत्री का अवलोकन किया जाये और कहीं पर दूत को शीघ्र भेजा जाये। इस प्रकार से एक वणिपति प्रधान कहता है-हे हरिकुल! आकाश के सूर्य! सुनो- धृतिसेन राजा की पुत्री है, जो रतिप्रिय अथवा सीता के समान है। ___ उसको मांगकर अपने पुत्र का विवाह किया जाये। राजा ने साधु-साधु (उत्तम-उत्तम) शब्द उच्चारित किये। सम्मान, दानादि दिया और अपनी चिन्ता को नष्ट किया। राजाओं और वणिक को वापिस भेजा। फिर मन्त्रियों के मध्य में बैठकर राजा ने मंत्रणा की और मंत्रियों की (सलाह) पूछते हैं। घत्ता-हे विलक्षण बुद्धि सम्पन्न मंत्री! राजा के लक्षणों से युक्त कुमार वरांग सम्मानित है। चिर-परिचित बुद्धिमान (मंत्री) कहो-नंदिनी को लिया जाये जो विनयादिगुण में प्रवृत्त है। 6. कुमार वरांग की विवाह चर्चा उक्त वार्ता सुनकर सुभट (वीर) और धैर्यवान् अनंतवीर (मंत्री) कहता है- हे! राजन् सुनोमैं शब्दों को कहता हूँ। ललितपुर नगरी में देवसेन नाम का राजा है, जो शत्रुओं के मस्तक को सिंह की तरह घात देने वाला है। उसके घर पर सुनंदा नाम की पुत्री है, उस रूपसुन्दरी को हाथी पर लाया जाये। दूसरी बात कुमार देवसेन का भान्जा है। उनसे जुड़कर के चिरस्नेह को बर्धित करते हैं। तत्पश्चात् अन्य श्रेष्ठ मंत्री भी कहते हैं, जिसका नाम सुबुद्धि है, तुम्हारे लिए नूतन स्नेह के लिए सुन्दर वचन कहता हूँ, अन्य के साथ भी सम्बन्ध कीजिए। फिर तुरन्त ही चित्तसेन भी कहता है। मैं कहता हूँ ये परिणय-संबंध कीजिए। विंध्यपुर के राजा महेन्द्रदत्त की पुत्री, जिसका नाम अंगवती है। सिंहपुर के राजा (द्विषन्तप) की कामासक्त पुत्री, जिसका नाम यशोमति है। मलयदेश के अधिपति मकरध्वज की पुत्री अनंतश्री, इष्टपुरी के राजा सनत्कुमार की पुत्री रूप से परिपूर्ण 'वसुंधरा' है। चक्रपुर के राजा समुद्रदत्त की पुत्री प्रियदत्ता उसके यहां उत्पन्न हुई, गिरिव्रज नगर का राजा बजायुध मानो मनुष्यों में श्रेष्ठ सुरेन्द्र हो, उसकी पुत्री कमलिनि की तरह सुकेशी है, जिसे देखकर देव भी कार्य छोड़कर मानो रति इच्छा के लिए पहुंचते हैं। घत्ता-जिसका श्रेष्ठ नगर कुशल है, जनपद (प्रजा) भी कुशल है, पृथ्वी पर एक राजा प्रगट हुआ है, जो शत्रु रूपी पर्वत के लिए विद्युत् की तरह है, जिसका तेज सूर्य की तरह है, वह सुमित्रसिंह नाम से जाना जाता है। 7. वधुओं का वर्णन जो श्रेष्ठ ज्ञानवान और सभी कलाओं सहित है, उनकी पुत्री का नाम विश्वसेना है। अन्य
SR No.032434
Book TitleVarang Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumat Kumar Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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