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________________ वरंगचरिउ को निकालने में लगा रहता है और वह दुर्जन जिस प्रकार दूसरों के दोषों की निन्दा करता है, उसी प्रकार सज्जन दूसरों के उपकार को धारण करते हैं। वे किसी को कुछ नहीं समझते हुए इस प्रवृत्ति को छोड़ते हुए दूसरों के गुणों को ग्रहण करते हैं। सज्जन व्यक्ति का चित्त मलयगिरी के समान दृढ़ कहा गया है। जो प्रवृत्ति युक्त होते हुए भी अपने गुणों का बखान नहीं करते हैं। इसलिए जो सज्जन व्यक्ति होते हैं वे लोक में सभी के द्वारा श्लाघ्य (प्रशंसनीय) होते हैं। सज्जनता को धारण किये जाते हुए के द्वारा धर्म होता है। सज्जन व्यक्ति इस पृथ्वी पर आनंद और प्रशस्त रूप कहे गये हैं, क्योंकि जिनधर्म में प्रवृत्त होने से उनके द्वारा कल्याण होता है। इस संसार में दीर्घकाल कवि रूप में प्रसिद्धि पाना व्याकरण रूपी समुद्र के पार पाने के समान कठिन है। अतः अनेक प्रकार के काव्य की रचना से संसार में धर्म बढ़ता है, यह लोक का सार है। ___घत्ता-अपनी बुद्धि से मनोहर काव्य का वर्णन करता हूँ और सभी प्रकार के सम्यक् कल्याणकारी कार्य करूंगा। जो अनेक द्वीपों और समुद्रों से घिरा हुआ है, ऐसे जम्बूद्वीप का वर्णन करता हूँ। ___3. विनीतदेश का वर्णन उसके (जम्बूद्वीप) मध्य में भरतक्षेत्र स्थित है। जो नदी, तालाब, पर्वतों और नगरों से युक्त सुन्दर (विचित्र) है। उसके अंतर्गत विनीत देश है, मानो उसकी धरती दिव्यता को धारण करती है एवं धन-दौलत, सोना आदि से परिपूर्ण थी। उसके ग्राम, पुर एवं नगर आदि कल्याणशील एवं मनोहर थे, जहां जगह-जगह मुनि तप तपते हैं और जहां लोग जगह-जगह जिनगुणों का बखान करते हैं, जहां गांव-गांव शालि (चावल) विशेष धान्यों से परिपूर्ण कृषि भूमि थी, मानो सज्जन धान्यभार से झुककर प्रणाम करता हो। रात्रि के समय पथिकजन के लिए कान्तियुक्त लक्ष्मी का निवास होता है, मानो चोरी करने वाले का विनाश हो, जहां गन्ने के वन रसों और श्वेतवर्ण से युक्त है, मानो श्रेष्ठ नारी व्यक्ति के मन को मोह रही हो, जहां के लोग अंगूर के रस का रसास्वादन करते हैं, मानो कलकल की ध्वनि भी मधुर हो जाती है, जहां श्रेष्ठ वृक्ष फलों से युक्त एवं पुष्पों की सुगंधी से सहित है, जहाँ विविध प्रकार के वृक्ष सहित वन हैं, जहां की पृथ्वी विषयभोगों से शोभित है, वहां कंतपुर नाम का नगर है, वहां पंचवर्णों से युक्त रत्न दिये जाते थे, जहां पंचवर्ण वाली जैनध्वजपाताका भी है, वहां लोक के चार वर्ग का निवास है एवं लोगों की एकत्रता (एकता) राजमार्ग को शोभित करती है। __ घत्ता-वह नगर रमणीय है, वहां के मकान (घर) मनोहारी रंगों से युक्त हैं, जैसे-श्वेत-चूने की पंक से पुताई की गई हो; ऐसे प्रतीत होते हैं मानो घर स्फटिक मणि से निर्मित किये गये हो, स्वर्णकलश से जिसके शिखर शोभित हैं, देवगण भी जिसका वर्णन करते हैं।
SR No.032434
Book TitleVarang Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumat Kumar Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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