SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के बाद अनेक अवरोधों को पार करके अंतिम मंजिल तक पहुंच पाई। प्रेरणा एवं प्रोत्साहन से लेखन यात्रा संपन्न हो सकी। मेरी बात पूर्ण करने से पूर्व उस प्रज्ञापुरुष गुरुदेव तुलसी को नमन करती हूं जिनके वात्सल्य, अनुग्रह और प्रेरणा का अंकन शब्दों से नहीं किया जा सकता। नमन है आचार्यश्री महाप्रज्ञ की अपरिमेय ज्ञान-सम्पदा को, जो अपनी रचना-धर्मिता को युग के जीवंत प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। नमन है युवाचार्यश्री महाश्रमणजी एवं महाश्रमणी साध्वी प्रमुखाश्रीजी को, जिनका मंगल सान्निध्य स्वयं प्रेरणा-स्रोत है। अविस्मरणीय है मातृ-हृदया स्व. साध्वीश्री भत्तुजी, जिन्होंने हर पल मेरे जीवन को अभिसिंचन देकर संस्कारित किया। ___ मैं उन सबके प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित करती हूं जिन-जिन आचार्यों, उपाध्यायों, मुनिवरों, पूज्यवरों, विद्वानों, विचारकों के साहित्य-शिल्प से पाथेय मिला। कृतज्ञ हूं आत्मीय सहयोग के लिए सहवर्तिनी साध्वी पद्मावतीजी, कंचनकंवरजी, पुष्पावतीजी, गवेषणाश्रीजी के प्रति। इनकी उदारता और सहयोग से मैं हर कार्य के लिये निश्चिंत रही। कृतज्ञ हूं समणी सत्यप्रज्ञा, समणी अमितप्रज्ञा, मनोज नाहटा (जयपुर) की, जिनका पुस्तकों की उपलब्धि में महनीय योगदान रहा। कृतज्ञ हूं सुझावों के लिये डॉ. महावीरराज गेलड़ा, डॉ. हरिशंकर पाण्डेय, डॉ. आनन्दजी त्रिपाठी, डॉ. सोहनलाल लोढ़ा, प्राध्यापक बृजकान्तजी शर्मा, डॉ. रोशन पीतलिया के प्रति। प्रत्यक्ष और परोक्ष, जिस किसी का सहयोग मिला सबके प्रति आभारी हूं। सबके सहयोग से मैंने यह विनत लघु प्रयास किया है। यद्यपि सृजन की प्रस्तुति में अपूर्णता का आभास हो रहा है। शब्द अनायास ही निःशब्द की भित्ति में प्रविष्ट होकर अव्यक्त की विश्रृंखला के स्मित को निनादित करने का प्रयास कर रहे हैं, फिर भी किसी के ज्ञान-संवर्धन के निमित्त बनेंगे तो मेरी ज्ञान यात्रा सार्थक होगी। साध्वी नगीना ४ नवम्बर २००१ देवगढ़ (मदारिया) आठ
SR No.032431
Book TitleJain Darshan ka Samikshatmak Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNaginashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy