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________________ हर्बर्ट स्पेन्सर का मन्तव्य है- The teachers and bounders of the religion have all taught and many philosophers ancient and modern Western and Eastern have perceived that this unknown and unknowable is our veryself. First Principles. 1900 __ अर्थात प्राचीन हो या अर्वाचीन, पश्चिम के हों या पूर्व के सबने अनुभव किया है कि वह अज्ञात या अज्ञेय तत्त्व वह स्वयं है। वैज्ञानिक दृष्टि से पदार्थ की तीन अवस्थाएं हैं-ठोस, द्रव और गैस। बाद में प्लाज्मा और प्रोटोप्लाज्मा को खोजा गया। प्रोटोप्लाज्मा की तुलना प्राणशक्ति से है। जैवप्लाज्मा में इलेक्ट्रोन, प्रोटोन दोनों स्वतंत्र हैं, जिनका नाभिक के साथ सम्बन्ध नहीं रहता। शरीर की नश्वरता और प्रोटोप्लाज्मा की अमरता को भी अब स्वीकृति मिल चुकी है। मृत्यु के बाद प्रोटोप्लाज्मा शरीर से अलग होकर वायुमंडल में प्रविष्ट हो जाता है। फिर वनस्पति में स्थानान्तरित हो, फल-फूल अनाज आदि के माध्यम से मनुष्य-शरीर में पहुंचता है। वे ही प्रोटोप्लाज्मा कण जीन्स में रूपान्तरित हो नये शिशु के रूप में जन्म लेते हैं। वैज्ञानिकों ने प्रोटोप्लाज्मा को आत्मा माना है। जैन दर्शन की भाषा में उसके लक्षणों के आधार पर सूक्ष्म शरीर कहा जा सकता है। आत्मा के त्रैकालिक अस्तित्त्व को स्वीकार करने पर ही स्मृति और प्रत्यभिज्ञा संभव है। अन्यथा कृतप्रणाश एवं अकृतागम दोष भी आता है। कर्म का सम्बन्ध अतीत की यात्रा से है। अतीत में जो कुछ किया उसकी रेखाएं आत्मा पर अंकित हो गईं। किन्तु कर्म पर भी अंकुश है। वह निरंकुश सत्ता नहीं। आत्मा के चैतन्य स्वभाव का स्वतंत्र अस्तित्त्व है। वह कभी भी अपने स्वभाव को तोड़ने नहीं देता। इसलिये कर्म का आत्मा पर एकाधिकार नहीं है। जिस दिन कर्म परमाणुओं का सम्बन्ध टूट जाता है। आत्मा अखंड चैतन्यमय पूर्ण सूर्य के रूप में उद्भासित होती है। आत्मा की अनुबुद्ध अवस्था में कर्म-वर्गणाएं आत्म-शक्तियों को दबाए रखती है। भव-स्थिति परिपाक होने पर वे शिथिल हो जाती है। यहीं से आत्म-विकास का क्रम शुरू १. घट-घट दीप जले, पृ. ५७ (ख) अखंड ज्योति, जुलाई १९७४ के लेख का सारांश - सोलह -
SR No.032431
Book TitleJain Darshan ka Samikshatmak Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNaginashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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