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________________ १३. पूछ डालिम, रूपचन्दजी आया नहीं अबार? ___ गया परा गुरुदेव! चतुरगढ़, सन्त कहै सुविचार।। सोरठा १४. पायो जब संकेत, बे'ली चढ़ आया तुरत। श्रावक सेठ सचेत, रूपचन्दजी सेठिया।। १५. श्री गुरुवर एकान्त, परामर्श प्रमुदित कियो। ___ समय सन्तुलित शान्त, भावी पद युवराज-हित।। आया है मिल डालिम रै दरबार। १६. चिंतन मंथन बाद सुगुरु रो, पिण दृढ़ बण्यो विचार। करणो अबै प्रबंध पाछलो, निश्चित ही अनिवार।। सफल दिन आज रो रे, थापै डालिम निज युवराज, सफल...। होसी हुलसित सकल समाज, सफल... ।। १७. इंगित लख गुरुवर्य रो रे, लेखण स्याही पत्र। मगन शीघ्र हाजर कऱ्या रे, देख लिया गणछत्र।। १८. अयन हयन युग सर्पिणी रे, कालचक्र प्रारंभ । ओ दिन एकम श्रावणी रे, सकल दिनां रो थंभ।।। १६. बैदां री हेल्यां बड़ी रे, उतरादै तिरबार। जोड़ी छव बाजोट री रे, आसण तकियादार।। २०. सहज समय दोपहर रो रे, लीन्हो कागज हाथ। ___ महामहिम-कृपया हुवै रे, सारो संघ सनाथ ।। १. लय : स्वामीजी! थारी बा मुद्रा जग ख्यात २. लय : कीड़ी चाली सासरै रे ३. देखें प. सं. २० ४. राजलदेसर-निवासी लच्छीरामजी बैद की हवेलियां। विशेष जानकारी के लिए देखें मगन___ चरित्र, पृ. १६६, प. १ सं. ३१ ८८ / कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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