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________________ २८. पो. सुद मोतीजी पट्यो, मा. बिद धन्यकुमार' मा. सुद हस्तीमल्लजी, शिव-बंधव' सुविचार ।। लावणी छंद २६. बिद चेत चतुरगढ़ अठतरै दीक्षा त्रय, साजनवासी रो दुलीचंद मुनि निर्भय । सोनांजी पुत्री, मगनां राजाणे री, श्री कालू चरणां अर्पित, करी न देरी धनराज दसाणी फतेचन्द सीसायी, आषाढ़ मास गंगाणै गुरु- अनुयायी 'सव्वं सावज्जं जोगं' पचखै भारी, I 1 दूजे उल्लासे सुणो ख्यात दीक्षा री ३०. सितरै स्यूं अ ंतरै तक दीक्षा-लेखो, एकत्रित वर्णित पाठक दर्शक देखो । कल्याण-पंथ अनुगामी घणां बया है, शासन रै प्रौढ़ प्रतापे बण्या ठण्या है । कइ सँहसमल्ल तोलू-सा गण स्यूं छूट्या । जाणै संच्योड़ा सुकृत समूचा खूटूया । दूजे उल्लासे ढाळ सोळमी सारी, श्रोता-जन! निसुणो आगल कथा करारी । गीतक छंद ३१. जर्मनी विद्वान जेकोबी समागम श्रुत- मनन', -भूमि-भ्रमण रघु-मिलन' हरियाणै-गमन * शास्त्रार्थ भीनासर विजयवर' चरण-वरण विलास' में, षट दस सुढाले दुरित टाले, दूसरे उल्लास में ।। - १. साध्वी धनकंवरजी २. मुनि शिवराजजी के संसारपक्षीय भ्राता उ. २, ढा. १६ / १७३
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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