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________________ ३५. आदेश दियो गणस्वामी, अभिलाष सफलता - गामी । दूजे उल्लासे आखी, आ नवमी ढाळ सुसाखी ।। ढाळ: १०. दोहा १. हरियाणै दिशि हूंस स्यूं, विभुवर करै चूरू-पथ पावन कियो, पुर 'टमकोर' २. दस वासर 'रीणी' रही, 'ददरेवै' हो राज पधार्या 'राजगढ़' बरसी बाण ३. विश्वाधार पधारिया, पहली पुर 'हिस्सार' । सार्वजनिक स्वागत कियो, जनता अधिक उदार ।। ४. तारण तरण 'हिसार' स्यूं, फरसत लघु लघु ग्राम । सुधेव । । तुरत टुहाणा में लियो, तीन रात विश्राम ।। ५. सात कोस आक्रोश बिन, बिच इक मंडी फर्श । 'उच्चाणा मंडी' दिया, देव दयानिधि दर्श ।। विहार । पधार । । देव । ६. 'लोक सैकड़ां साथ, करै, पूज्य पजुवास जाणी शासणनाथ, महर - दृग आश धरै I आश धेरै, भव- पाश टरै, आध्यात्मिक ज्ञान उजास वरै, ज्यारै लग्यो धर्म रो रंग, सकल अभिलाष तरै ।। ७. 'छातर' जिन-मत - छत्र, रात्रि-युग वास कियो, 'नगुरै' होय 'कसूण', 'बड़ोदो' बीच लियो । बीच लियो, जग सुजश जियो, हो 'कोथ' 'खापड़ा' गुणरसियो, खेड़ा फर्थ्या सर्व, दिव्य जिनधर्म - दियो ।। १. लय : धन-धन भिक्षु स्वाम २. लय : आदिनाथ मेरे आंगण आया १४८ / कालूयशोविलास-१ है अपणा भाग्य सवाया, भाया ! हरियाणै हरि आया जी । आ कंचनवरणी काया, भाया ! हरियाणै हरि आया जी ।।
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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