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________________ सुद नवमी दिन पटुगढ़ भव-भ्रमण उदासी, ली दीक्षा घासीराम दिवेर निवासी' । तिण ही मासे सुद चवदस बीकाणे रीधनकुमरी, गोगुन्दै री जमना हेरी । तीजो गिरिगढ़ रो तपसी संत हजारी, पहले उल्लासे सुणो ख्यात दीक्षा री ।। दोहा ७. राजलदेसर में रज्या, राजनपति राजाण । रमकू कुड की लियो, संयम अव्यवधान ।। लावणी छंद 1 ८. बीदासर माघमहोत्सव रै शुभ टाणै, फागण बिद पांचम दीक्षा भाग्य - प्रमाणै। फूलांजी रीणी रा नोहर पीहरियो, ली विदा बिदासर स्यूं गणिवर गुणदरियो । गिरिगढ़ मोमासर सर-सरदार पधाऱ्या, पुर बाहिर इक वनिता रा कारज सार्या । पन्नां पुरवासिणि संयमश्री स्वीकारी, पहले उल्लासे सुणो ख्यात दीक्षा री ।। सोरठा ६. जाति बरड़िया खास, पीहर डागां घर प्रवर । हद संयम हुल्लास, सुवटां रो मधुमास में ।। लावणी छंद १०. चूरू वसुगढ़ हो पुनरपि पूज्य पधारै, सरदारशहर जनता रा भाग उघारै । सिड़सठै पावस स्वल्प-संख्य मुनि पासे, केवल सोलह अरु सतियां उणपच्चासे । १. देखें प. १ सं. ४१ २. सरदारशहर निवासिनी उ.१, ढा.१६ / १०५
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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