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________________ महावीरकालीन सामाजिक और राजनैतिक स्थिति ___41 मगध * उल्लेख है। दीघनिकाय में कुछ युगल नामों-काशी-कोशल, वज्जि-मल्ल, चैदी-वत्स, कुरु-पांचाल तथा मत्स्य-शूरसेन का राज्यों के रूप में उल्लेख है। जैन और बौद्ध ग्रन्थों की महाजनपदों/राज्यों की सूचियों की समानताओं तथा अन्तर को निम्न चार्ट के माध्यम से समझा जा सकता है| भगवती में | अंगुत्तरनिकाय | महावस्तु | चुल्लनिद्देस | दीघनिकाय में वर्णित सोलह वर्णित युगल महानजपद राज्य 1. अंग | 1. काशी | 1. काशी | 1. काशी |1. काशी- कौशल 2. बंग | 2. कौशल | 2. कौशल | 2. कौशल |2. वज्जि-मल्ल | 3. अंग | 3. अंग 3. अंग 3. चैदि-वत्स , मलय | 4. मगध | 4. मगध | 4. मगध |4. कुरु-पांचाल मालव वृज्जी 5. मत्स्य-शूरसेन अच्छ | 7. चेदि 8. वंश 9. कुरु | 9. कुरु | 9. कुरु | 10. पांचाल | 10. पांचाल | 10. पांचाल | 11. मत्स्य | 11. मत्स्य | 11. मत्स्य 12. मौली | 12. शूरसेन | 12. शूरसेन | 12. शूरसेन | 13. अंशक | 13. अंशक | 13. अंशक 14. कौशल | 14. अवन्ति | 14. अवन्ति | 14. अवन्ति 15. अवध | 15. गांधार | 15. शिवि | 15. यवन 16. सुंभोत्तर 16. कंबोज | 16. दशार्ण | 16. दशार्ण 17. कलिंग ल - o में 13. काशी
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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